जानिए 4 दिनों के छठ पर्व में किस दिन कब क्या करें?

सूर्य देवता को समर्पित छठ पर्व भारत के पूर्वांचल खासकर बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है. छठी मैया का आशीर्वाद पाने के लिए चार दिनों तक खास पूजा अर्चना की जाती है. इस बार 17 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. 20 नवंबर तक छठ पर्व मनाया जाएगा. छठ का व्रत रखने वाले लोगों को कई नियमों का पालन करना पड़ता है. इन चार दिनों का अलग-अलग महत्व है. तो आइए जानते हैं कि छठ पूजा के चार दिनों में किस दिन क्या करने का महत्व होता है आप अगर छठ का व्रत रखने वाले हैं तो ये जानकारी आपके लिए जरुरी है. 

नहाय खाए कब है: छठ पूजा व्रत चार दिन तक किया जाता है. इसके पहले दिन नहाने खाने की विधि होती है. जिसमें व्यक्ति को घर की सफाई कर स्वयं शुद्ध होना चाहिए और सिर्फ शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए. पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं और जो भी छठ पर्व मनाता है वो पहले दिन सिर्फ एक समय भोजन करता है. इस बार 17 नवंबर 2023 को नहाए खाए की पूजा होगी. 

खरना कब है: इसके दूसरे दिन खरना की विधि की जाती है. खरना में व्यक्ति को पूरे दिन का उपवास रखकर, शाम के समय गन्ने का रस या गुड़ में बने हुए चावल की खीर को प्रसाद के रूप में खाना चाहिए. इस दिन बनी गुड़ की खीर बेहद पौष्टिक और स्वादिष्ठ होती है. इस साल 18 नवंबर 2023 को खरना है.

शाम का अर्घ्य कब दें: तीसरे दिन सूर्य षष्ठी को पूरे दिन उपवास रखकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूजा की सामग्रियों को लकड़ी के डाले में रखकर घाट पर ले जाना चाहिए. शाम को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर आकर सारा सामान वैसी ही रखना चाहिए. इस दिन रात के समय छठी माता के गीत गाने चाहिए और व्रत कथा सुननी चाहिए. 19 नवंबर 2023 के दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देते हुए पूजा की जाएगी. 

सुबह का अर्घ्य कब दें: इसके बाद घर लौटकर अगले (चौथे) दिन सुबह-सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंचना चाहिए. उगते हुए सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद घाट पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान-रक्षा का वर मांगना चाहिए. अर्घ्य देने के बाद घर लौटकर सभी में प्रसाद बांटना चाहिए और खुद भी प्रसाद खाकर व्रत खोलना चाहिए. 20 नवंबर को छठ पर्व का आखिरी दिन है इस दिन व्रत रखने वाले लोग पारण करेंगे.