जैक डोर्सी के इस्तीफे के बाद ट्विटर के सीईओ बने पराग अग्रवाल को उनके एक पुराने ट्वीट को लेकर ट्रोल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यूजर्स उन्हें नस्लवादी बता रहे हैं। आइए पूरा मामला समझते हैं।
26 दिसंबर 2010 को पराग ने एक ट्वीट कर लिखा था कि अगर आप मुस्लिमों और चरमपंथियों के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं तो मैं गोरे लोगों और नस्लवादियों के बीच अंतर क्यों करूं। ये ट्वीट उन्होंने तब किया था जब वह ट्विटर के साथ जुड़े भी नहीं थे।
उनके इस ट्वीट पर कोलोराडो से अमेरिकी सांसद केन बक ने सवाल किया है कि यूजर्स ट्विटर के नए सीईओ पर कैसे भरोसा कर सकते हैं जब उनके विचार कुछ इस तरह के हों। एक और अमेरिकी सांसद मार्शा ब्लैकबर्न ने कहा गई कि पराग अग्रवाल, ट्विटर के नए सीईओ हैं और वह यह तय करने जा रहे हैं कि ट्विटर पर किस तरह की बात की इजाजत है।
हालांकि पराग ने 2010 में उस ट्वीट को पोस्ट करने के बाद ही सफाई दे दी थी और मामला समझा दिया था। उन्होंने बताया था कि वह द डेली शो से आसिफ मांडवी को कोट किया था। कई यूजर्स पराग के सपोर्ट में भी आए हैं और वह वीडियो पोस्ट करते हुए बताया है कि कॉमेडियन ने वाकई में ऐसा कमेंट किया था।
पराग का सफर
पराग अग्रवाल ने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद पराग अग्रवाल ने अमेरिका की प्रतिष्ठित स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की। उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट और याहू में इंटर्नशिप भी की। 2011 में उन्होंने ट्विटर में काम शुरू किया था। तब कंपनी में सिर्फ 1,000 कर्मचारी हुआ करते थे। पिछले साल के आखिर में कंपनी के 5,500 कर्मचारी थे। जल्दी ही अग्रवाल का नाम हो गया। 2017 में वह चीफ टेक्निकल ऑफिसर नियुक्त किए गए।
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