कोविड के दौरान जिस कारण हुई सबसे ज्यादा मौत वह अब भी बना हुआ है चिंता का कारण, कहीं फिर न मच जाए तबाही?

नईदिल्ली,12 फ़रवरी 2025: कोरोना महामारी 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी बनकर लोगों के सामने आई। नोवेल कोरोनावायरस और इसमें हुए म्यूटेशंस ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को न सिर्फ गंभीर स्तर पर प्रभावित किया, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हुई। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक 70.47 करोड़ से अधिक लोग संक्रमण का शिकार हुए वहीं 70 लाख से अधिक की मौत हो चुकी है।

साल 2019 के आखिरी के महीनों में शुरू हुई कोरोना महामारी अब भले ही स्थिर हो गई है पर विशेषज्ञ कहते हैं, आरएनए वायरस में लगातार म्यूटेशन होता रहता जिसके कारण इसके फिर से बढ़ने का खतरा हो सकता है। इन जोखिमों को देखते हुए सभी लोगों को अब भी सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।

कोरोना महामारी पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इस दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि दुनियाभर में करीब पांच अरब लोग, जोकि आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है अभी भी मेडिकल ऑक्सीजन की पहुंच से वंचित हैं।

रिपोर्ट में बताया कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी अब भी गंभीर चिंता का कारण बनी हुई है। सर्जरी या आपताकालीन स्थिति के अलावा अस्थमा, गंभीर चोट की स्थिति और मातृ-शिशु देखभाल के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। 

शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं और लोगों की मौत हुई थी। कोविड-19 जैसे हालात फिर से कभी न आएं, इसे रोकने के लिए और किसी संभावित महामारी की तैयारी के लिए भी मेडकिल ऑक्सीजन की पर्याप्तता बहुत आवश्यक है। 

अध्ययन में क्या पता चला?

मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई पर लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन की ये रिपोर्ट दुनिया का पहला अनुमान है जिसमें बताया गया है कि मेडिकल ऑक्सीजन कितनी असमान रूप से वितरित की जाती है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनियाभर में मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले 82 प्रतिशत मरीज निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इनमें से सर्जरी के दौरान या फिर किसी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में जरूरत पड़ने पर केवल तीन में से एक व्यक्ति को ही जीवन रक्षक गैस मिल पाती है। कम उपलब्धता, अधिक कीमत जैसे कारणों के चलते लगभग 70 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।

अगली महामारी के लिए तैयार रहना जरूरी

आयोग की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकारें, उद्योग, वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियां किस तरह से मिलकर काम कर सकते हैं ताकि मेडिकल ऑक्सीजन तक पहुंच प्रदान करने में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत किया जा सके।

लेखकों ने कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं की महत्वपूर्ण कड़ी है। साल 2030 तक स्वास्थ्य के लिए सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में ये दुनिया की प्रगति को गति देगा और देशों को अगली महामारी के लिए तैयार होने में भी मदद करेगा।

मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता बहुत जरूरी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, जिस तरह से दुनियाभर में तमाम गंभीर वायरस और संक्रामक बीमारियों का जोखिम बढ़ता जा रहा है इसके लिए हमें अभी से तैयार रहने की आवश्यकता है। कई वायरस में संभावित महामारी की क्षमताएं देखी गई हैं जो चिंता बढ़ाने वाली हैं। इसको लेकर पहले से ही तैयार रहना जरूरी है, जिसके लिए जरूरी है कि मेडिकल ऑक्सीजन जैसी जीवनरक्षक उपकरणों की उपलब्धता हो।