ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 7.93% की गिरावट

दिल्ली,13 जनवरी 2025:। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान ने पृथ्वी पर जीवन के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है। जिससे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जीएचजी) को कम करने के लिए देशों को पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

इसके जवाब में भारत ने 2021 में कॉप 26 के सम्मेलन में 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने का संकल्प लिया। भारत की चौथी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर-4) में 2019 की तुलना में 2020 में जीएचजी उत्सर्जन में 7.93% की कमी पर प्रकाश डाला गया है। यह एक सतत, जलवायु-आत्मनिर्भर भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यूएनएफसीसीसी के तहत भारत का जलवायु अभियान

21 मार्च, 1994 से प्रभावी यूएनएफसीसीसी का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करना और जलवायु परिवर्तन और दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन के लिए वित्त की पर्याप्त उपलब्धता पर वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप21) का 21वां सत्र 2015 में पेरिस में हुआ था,

जहां 195 देशों ने पेरिस समझौते को अपनाया था। समझौते का उद्देश्य पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ऊपर वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक सीमित करना है।

साथ ही वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को जल्द से जल्द करने के प्रयासों को आगे बढ़ाना है। यह 4 नवंबर, 2016 को लागू हुआ, जिसके तहत देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत करने की आवश्यकता हुई।

प्रगति पर नजर रखने के लिए हर दो साल में भारत यूएनएफसीसीसी को द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर) प्रस्तुत करता है। ये रिपोर्ट राष्ट्रीय जीएचजी सूची को अद्यतन करती हैं, शमन कार्यों का विवरण देती हैं और उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों सहित प्राप्त समर्थन पर प्रकाश डालती हैं।