कोरबा 17 जून (वेदांत समाचार) छत्तीसगढ़ जैच विविधता वाला लगभग 55 फीसदी वन क्षेत्र से आच्छादित राज्य है। है। नदी- नाले भी बड़ी संख्या में हैं। इधर, राज्य के कोरबा जिले से होकर गुजरने वाली हसदेव नदी में यूरेशियन ओटर (Eurasian Otter) यानी ऊदबिलाव मिला है। मछली पकड़ने के लिए लगाए गए जाल में यूरेशियन ओटर फंसा मिला।
जलीव जीवन शैली वाला यह प्राणी भारत के उत्तरी ठंडे पहाड़ी इलाके और दक्षिण के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है। मध्य भारत में दूसरी बार कोरबा में इसे पाया गया है। इसके पहले जून 2016 में मध्य प्रदेश के सतपूड़ा टाइगर रिजर्व एरिया में यह मिला था। यूरेशियन ओटर झील, नदियों जैस स्थानों पर रहता है। गर्मियां के दिनों के ये हिमालय में 3669 मीटर तक चढ़ जाते हैं। लड़ाई के दौरान ये बिल्ली की तरह आवाज निकालते हैं।
यहां बताना होगा कि कोरबा जिला भी जैव विविधताओं से भरा पड़ा है। यहां भी कई तरह के तरह के वन्य प्राणी और जीव जंतु पाए जाते हैं। यूरेशियन ओटर के मिलने के बाद इसकी संभावना है कि ये हसदेव नदी क्षेत्र में और भी होंगे।
यूरेशियन ओटर के बारे में
- इसका वैज्ञानिक नाम लुट्रा लुट्रा (Lutra lutra) है।
- ये मुख्य रूप से यूरेशिया में (पश्चिम में आयरलैंड से लेकर पूर्वी रूस एवं चीन तक) पाए जाते हैं। इसके अलावा ये उत्तरी अफ्रीका (मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनीशिया) और मध्य पूर्व (इज़राइल, जॉर्डन, इराक और ईरान) में भी पाए जाते हैं।
- इसे अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में निकट संकट (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया है और इसे CITES की परिशिष्ट I (Appendix I) में जबकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची II में रखा गया है।
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