नई दिल्ली ,02 मार्च । भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है और वैश्विक रूप से लोग इसे स्वीकार कर रहे हैं। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी में शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ के तहत पहले बी से बी वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और पारंपरिक चिकित्सा पर प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों का इलाज संभव होने और बेहतर स्वास्थ्य लाभ होने के कारण इसकी प्रसिद्धि बढ़ रही है।
श्री सोनोवाल ने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत ने उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का बेहतरीन उपयोग किया है। भारत विश्व के 17 बड़े जैव विविधिता वाले देश का हिस्सा है और यहां 45 हजार पौधों की प्रजातियां पाई जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार पारिस्थिति तंत्र को हानि पहुंचाए बिना चिकित्सा के पारंपरिक प्रणाली को प्रोत्साहित करेगा।
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श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत पारंपरिक चिकित्सा के बढ़ रहे व्यापार के साथ जो 22 अरब यूएस डॉलर तक पहुंच गया है, विश्व में पारंपरिक चिकित्सा के केंद्र के रूप में उभर रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री डॉ. महेंद्र भाई मुंजपारा ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को इस्तेमाल करने का भारत का एक लंबा इतिहास है और इसका लक्ष्य पारंपरिक चिकित्सा के प्रयोग से स्वास्थ्य प्रणाली की खाई को पाटना है।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मालद्वीप के उप-स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर साफिया मोहम्मद सईद ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा का प्रयोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि बहुत सारे देश व्यापक स्तर पर इस चिकित्सा का प्रयोग कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में 13 सदस्य देशों से 150 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे और शंघाई सहयोग संगठन- एससीओ के कई सदस्य देश इसमें वर्चुअली शामिल होंगे।