इलायची की खेती किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में की जाती है. इसकी बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है. इलायची की खेती करके किसान भाई काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में इलायची की खेती प्रमुख रूप से की जाती है. इलायची एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है. इस पौधे को इलायची, वेलाडोडा, विलायाची वेलदोडा, इलाची, एला के नाम से भी जाना जाता है. आईए जानते हैं कि इसकी खेती कैसे होती है. इसके लिए कैसी जलवायु चाहिए. कैसी मिट्टी में इसका उत्पादन होता है. इलायची की खेती से किसान सालाना लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
महाराष्ट्र के कोंकण में कई प्रकार के मसाले उगाए जाते हैं. इलायची महत्वपूर्ण फसलों में से एक है और इसे मसाला फसलों की रानी माना जाता है. हालांकि इलायची की खेती से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती करनी जरूरी है.
कैसे क्षेत्र में होती है अच्छी फसल
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इलाइची का उत्पादन ऐसे क्षेत्रों में हो सकता है जहां न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता हो. वेलाडोडा एक छायादार वृक्ष है. इस कारण नारियल और सुपारी के बागों में वेलाडोडा उगाना बेहतर होता है. यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि सूरज की रोशनी सीधे वेलाडोडा पर न पड़े. अगर सुपारी 3 x 3 मीटर की दूरी पर लगाई जाती है, तो हर दो पेड़ के बीच में एक इलायची का पेड़ लगाया जा सकता है. इसके बजाय सुपारी को सघन रूप से लगाना चाहिए या बगीचे में खुली जगह में अन्य पेड़ लगाने चाहिए.
कैसा होता है इलायची का पौधा
इलायची का पौधा 1 से 2 फीट लंबा होता है. इस पौधे का तना 1 से 2 मीटर तक लंबा होता है. इलायची के पौधे की पत्तियां 30 से 60 सेमी तक लंबाई की होती है व इनकी चौड़ाई 5 से 9 सेंटीमीटर तक होती है.
इलायची खेती के लिए पानी
मानसून खत्म होने के बाद तत्काल जलापूर्ति की व्यवस्था की जाए. ये पौधे पानी के दबाव को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करते हैं. इसलिए, मिट्टी में नियमित नमी सुनिश्चित करने के लिए देखभाल की जानी चाहिए. यदि मिट्टी उपजाऊ है तो चार दिन में एक बार पानी पर्याप्त है.
इलायची के किस्में
इलायची दो प्रकार की होती है. एक हरी इलायची और दूसरी भूरी इलायची होती है. भारतीय व्यंजनों में भूरी इलायची का उपयोग बहुत किया जाता है. इसका उपयोग मसालेदार खाने को और अधिक स्वादिष्ट बनाने और इसका स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. वहीं छोटी इलायची का उपयोग मुखशुद्धि के लिए पान में किया जाता है. इसके साथ ही पान मसालों में भी इसका उपयोग होता है. और बाज़ारों में इनकी दोनों की काफी डिमांड रहती हैं.
इलायची खेती की कटाई कब करे
कृषि विभाग के मुताबिक जब फल कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं, तो वे हरे और पीले हो जाते हैं. ऐसे फलों को छोटी कैंची से काटकर डंठल के साथ इकट्ठा करना चाहिए. फलों को 5 से 6 दिनों तक अच्छी तरह से सुखाना जरूरी है. बदलते मौसम के कारण वर्षा ऋतु में फलों का उत्पादन कम ही होता है. ऐसे में धूप न होने पर चारकोल की जाली जलाएं, डेढ़ फीट की ऊंचाई पर तार का जाल बिछाएं और उस पर फलों को सुखाएं.
फलों को अच्छी तरह से सुखाते समय धूम्रपान नहीं करना चाहिए. फलों को सुखाते समय बीच-बीच में हिलाते रहें. उचित देखभाल और गर्मी के साथ, फल थोड़ा गहरा और कम चमकदार दिखता है. अतिरिक्त डंठल और फूलों के अवशेषों को हटाने के लिए पूर्ण विकसित फलों को छोटी कैंची से काटा जाना चाहिए.
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