इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक युवती ने पति की प्रताड़ना से तंग आकर अपने दो मासूम बच्चों से मुंह मोड़ लिया। उसने यह भी कहा कि उसे दोनों बच्चों से कोई लगाव नहीं है और न ही वह उसका कोई वास्ता है। कोर्ट ने उससे कहा कि उसे बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा तो उसने कहा कि उसे यह भी मंजूर है। मामले के तथ्यों के अनुसार फतेहपुर निवासी ड्राइवर प्रमोद कुमार ने पत्नी क्रांति देवी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी।
उसका कहना था कि उसकी पत्नी को दिल्ली में ने बंधक बना रखा गया है। वह उसे छोड़ नहीं रहा है। उसका यह भी कहना था कि पत्नी से दो छोटे बच्चे वैभव (9 वर्ष) व शौर्य (5 वर्ष) भी हैं, उनमें छोटा दिव्यांग है। दोनों बच्चों की देखरेख के कारण वह काम पर नहीं जा पाता। इसलिए उसे बच्चों की परवरिश में दिक्कत आ रही है। पत्नी दिल्ली में जॉब कर रही है। दोनों बच्चों के प्रति मां की भी जिम्मेदारी बनती है इसलिए बच्चों के लिए गुजारा भत्ता दिलाया। कोर्ट ने पुलिस को प्रमोद की पत्नी को पेश करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्रांति से पूछा कि उसे किसी ने बंधक बनाया है तो क्रांति ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वह दिल्ली में रहकर प्राइवेट जॉब कर रही है। उसने बताया कि प्रमोद उसे मारता पीटता था इसलिए वह उसे व बच्चों को छोड़कर दिल्ली चली गई और वहां जॉब कर रही है। उसे अब प्रमोद से कोई मतलब नहीं है। कोर्ट ने उसके पीछे खड़े दोनों बच्चों के लिए पूछा कि अपने बच्चों को साथ रखोगी तो महिला ने इनकार करते एक झटके में कह दिया कि उसे बच्चों से कोई लगाव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उसे बच्चों से नहीं मिलने भी नहीं दिया जाएगा तो युवती बोली, उसे मंजूर है। उसके जवाब के बाद कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को पोषणीय नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। गुजारा भत्ता के लिए कोर्ट ने कहा कि याची इसके लिए परिवार न्यायालय का दरवाजा खटखटाए।
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