Mother’s Day के उपलक्ष्य में इंडस पब्लिक स्कूल में हुए विविध कार्यक्रम

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में मातृदिवस के उपलक्ष्य में शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में स्कूल स्टॉफ, पैरेन्ट्स सहित विभिन्न विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत की । कार्यक्रम की शुरूआत कार्यक्रम में पधारे हुए मुख्य अतिथि सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों से दीप-प्रज्वलन से हुई । कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों को तिलक एवं बैज लगाकर सम्मानित किया गया तत्पश्चात कार्यक्रम ने गति पकड़ी । सर्वप्रथम आरना मिश्रा एवं हिमांशी के द्वारा माँ के स्नेह एवं बलिदानों को समर्पित मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी गई । विद्यालय की शिक्षिकाएँ श्रीमती सोमा चौधरी, सुनीता ओझा, रंजीत कौर एवं नीलम विश्वकर्मा के द्वारा कर्णप्रिय गीत की प्रस्तुति दी गई । कार्यक्रम की अगली कड़ी में कक्षा तीसरी, चौथी एवं पाँचवीं की छात्राओं द्वारा माँ की महिमा को उजागर करती नयनाभिराम नृत्य की प्रस्तुति दी गई । नृत्य को उपस्थित सभी जनसमूह ने खूब सराहा ।

कार्यक्रम में उपस्थित सुहान सिंह ने प्रेरक उद्बोधन दिया । उन्होंने कहा कि इस दुनिया में किसी भी चीज को माँ की ममता से नहीं तौला जा सकता । मातृत्व दुनिया के लिए सबसे बड़ा वरदान है । माँ को बलिदान का प्रतीक माना जाता है । यह बात सच है कि रिश्ता जन्म से मिलता है, मगर माँ हमें पहले ही मिल जाती है । तत्पश्चात विद्यालय के नृत्य प्रशिक्षक श्री अमित श्रीवास ने बहुत सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया । इस कार्यक्रम में पैरेन्ट्स ने अपने बच्चों के साथ रैम्प वॉक कर समां बाँध दिया । कक्षा दसवीं की छात्रा कल्पिता सिंह ने भी अपने डाँस से सबको आकर्षित कर दिया । श्री अनुराग सेन गुप्ता ने भी अपने मधुर स्वर से माँ को सम्मान अर्पित किया । कार्यक्रम में आगे बी.मायरा ने अपनी माँ के साथ मातृ दिवस को समर्पित गीत में आकर्षक नृत्य किया । विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती रूमकी हलदर एवं श्रीमती स्वाति सिंह ने भी अति सुंदर नृत्य की प्रस्तुति दी । कार्यक्रम में मदर्स के लिए मनोरंजक गेम का आयोजन किया गया । इस गेम का उपस्थित सभी पैरेन्ट्स ने बहुत आनंद लिया । कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि श्रीमती संतोषी दीवान, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद दीपका ने कहा कि जब हम कष्ट या तकलीफ में होते हैं तो हमें सबसे पहले माँ की ही याद आती है । किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति कैसा दृष्टिकोण होना चाहिए, लोगों का आदर-सम्मान करना अच्छे बुरे का ज्ञान कराना और हमेशा हमें एक सही दिशा देकर भविष्य संवारना यह सब हमारी माँ ही करती है । धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों का ज्ञान सर्वप्रथम माँ से ही मिलता है । माँ हममें आत्मसम्मान की भावना जागृत करती है ।


अतिथि श्रीमती लता कंवर, जनपद पंचायत अध्यक्ष, कटघोरा ने कहा कि माँ ईश्वर की सबसे अद्वितीय व अमूल्य रचना है । जिंदगी में आगे चलकर हम जो भी बनते हैं उसमें सबसे अहम भूमिका माँ की ही होती है । सर्वप्रथम माँ ही आदर्श गुरू बनती है । साथ ही जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पाठ अपनी अनुभव की किताब से माँ ही सिखाती है । हमें आजीवन माँ को सम्मान देना चाहिए कभी भी उनका हृदय नहीं दुखाना चाहिए ।
श्रीमती सोमा सरकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपने असीम प्रेम से हमारे अवगुणों को गुणरूप में परिवर्तित करके माधुर्य और चंदन का रूप देने वाली वात्सल्य वारिधि माँ ही है । इस धरती पर इन्सान के रूप में माता-पिता, भाई-बहन, गुरू एवं भगवान के रूप में निरंतर साथ रहने वाली माँ ही है ।


अतिथि कमलेश यादव(सीनियर एडिटर, एसीएन न्यूज) ने कहा कि माँ प्राण है, माँ शक्ति है, माँ ऊर्जा है, माँ प्रेम, करूणा और ममता का पर्याय है । माँ केवल जन्मदात्री नहीं वह जीवन निर्मात्री भी है । माँ धरती पर जीवन के विकास का आधार है । अनादिकाल से माँ के स्नेह से दुनिया आलोकित होती रही है । वह ईश्वर का साक्षात व जीवंत स्वरूप है ।


विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि आदिम युग में भी माँ ही है जिस प्रकार अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश का अपना अस्तित्व है उसी प्रकार सदा से माँ का अस्तित्व रहा है और रहेगा । आज भी माँ का अस्तित्व रहा है और रहेगा । आज भी माँ कहने से ही आत्मा को एक असीम शांति का अनुभव होता है । दुनिया का सबसे प्यार शब्द यदि है तो वह है माँ । एक माँ की गोद कोमलता से बनी रहती है और बच्चे उसमें आराम से सोते हैं । माँ ही हमें ईश्वर से जोड़ती है । माँ की भारतीय संस्कृति में देवी का स्थान दिया गया है । उसमें धैर्य है, करूणा है, अपनाने का साहस है, त्यागने का जज्बा है । माँ की ममता सभी के लिए एक जैसी होती है । माँ भगवान और गुरू से भी ऊपर होती है । माँ सर्वोपरि है । माँ से हमें प्यार और शक्ति दोनों मिलती है । श्रीमद्भागवत गीता में भी कहा गया है जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी अर्थात जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है ।