रायपुर 2 अप्रैल (वेदांत समाचार) छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कई देवी मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है। इनमें एक है आकाशवाणी के पास स्थित मां महाकाली माता का मंदिर। जानकार बताते हैं कि मां महाकाली का नाता कोलकाता की काली माता से जुड़ा हुआ है।
मंदिर के सचिव डीके दुबे के अनुसार माता नीम के पेड़ के नीचे से निकली हैं यानी स्वयंभू हैं। मां महाकाली का मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है। दूसरी ओर माता के मंदिर में दोनों नवरात्र में हजारों संख्या में श्रद्धालु मनोकामना जोत प्रज्ज्वलित कराते हैं। इस साल चैत्र नवरात्र में माता के दरबार में लगभग 4001 मनोकामना जोत प्रज्ज्वलित होंगी।मान्यता : मां महाकाली कोलकाता की काली माता से जुड़ी हुई हैं। कोलकाता में माता काली का शरीर है। वहीं आत्मा रायपुर में है। मां महाकाली स्वयंभू हैं।
इतिहास : बताया जाता है कि काली माता के आत्मा की खोज के लिए कामाख्या के नागा साधु निकले थे। राजधानी में आकाशवाणी चौक के पास नागा साधुओं ने नीम और बरगद के पेड़ के पास चार महीने धूनी रमाई। तभी साधुओं ने कहा कि आने वाले दिनों में मां महाकाली यहां प्रकट होंगी। नागा साधुओं ने बरगद के पेड़ के पास भैरव बाबा की भी पूजा-अर्चना की, जहां आज भी भैरव बाबा की प्रतिमा है।
अभिजीत मुहूर्त में जगमगाएगी जोतचैत्र नवरात्र के शुभारंभ पर शनिवार को सुबह देवी माता की प्रतिमा का अभिषेक, श्रृंगार करके महाआरती की जाएगी। विधिवत पूजन करके अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.36 से 12.24 बजे के मध्य महाजोत प्रज्वलित की जाएगी। महाजोत से अग्नि लेकर मंदिर के विविध कक्षों में 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं की आस्था जोत प्रज्वलित की जाएगी।
100 सेवादार करेंगे जोत की रखवालीमहामाया देवी ट्रस्ट की खेतीबाड़ी जिस भाठागांव और जामगांव में है। उस गांव के 100 से अधिक सेवादार जोत की रखवाली करेंगे। कलशों को धोने, मांजने, क्रमवार व्यवस्थित करने, जंवारा बोने, जोत प्रज्वलित करने से लेकर पूरे नौ दिन जोत में तेल भरने, बाती बदलने से लेकर विसर्जन तक की प्रक्रिया में सेवादार ही सहयोग करते हैं।
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