सनातन धर्म में होली का पर्व भी विशेष महत्व रखता है. होली के मौके पर देशभर में अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती हैं. दुनिया में सबसे पहले उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन होता है. माना जाता है कि महाकाल के दरबार में होली पर्व पर विशेष तरह की पूजा-अर्चना करने से दुख, दरिद्रता और संकट का नाश होता है. इसके अलावा कोर्ट कचहरी के मुकदमे, पारिवारिक कलह और आर्थिक परेशानी को भी दूर किया जा सकता है.
होली पर्व का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. होली पर्व पर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से काफी लाभ प्राप्त होता है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में विश्व में सबसे पहले होली का दहन किया जाता है. खास बात है कि संध्याकालीन आरती के बाद होलिका दहन होता है. इसके लिए किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता है. भगवान महाकाल के दरबार में सबसे पहले होली दहन होने के बाद दुनियया भर में त्यौहार मनाया जाता है.
भगवान के साथ होली खेलने से कष्ट होते हैं दूर
महाकालेश्वर मंदिर के दिनेश पुजारी बताते हैं कि होली का पर्व प्राचीन समय से ही लोगों में काफी लोकप्रिय है. इस त्यौहार पर पूजा अर्चना करने का भी विशेष विधान है. अगर होली पर्व पर श्रद्धालु भगवान के रंग में रंग जाए और भगवान के साथ सच्चे मन से होली खेल ले तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग रंगों का शास्त्रों में अलग-अलग महत्व बताया गया है. भगवान महाकाल के दरबार में हर साल होली खेलने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. होली पर्व से लेकर अभी तक रोजाना भगवान को गुलाल और रंग चढ़ाया जाता है.
गुलाल और लाल रंग से मिलता है कैसा लाभ?
महाकालेश्वर मंदिर के दिनेश पुजारी का कहना है कि होली पर्व परिजन, मित्रों संग भगवान के साथ भी मनाया जाना चाहिए. कहा जाता है कि भगवान को लाल रंग चढ़ाने से कोर्ट कचहरी संबंधी मामले में लाभ मिलता है. इसके अलावा हरा रंग चढ़ाने से घर में मां अन्नपूर्णा का वास होता है और घर में सुख शांति रहती है. इसी तरह सफेद रंग चढ़ाने से मन को शांति और सुख समृद्धि मिलती है. भगवान के साथ होली खेलने वाले श्रद्धालुओं को मन के मुताबिक फल की प्राप्ति होती है.
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