सुप्रीम कोर्ट में तलाक का एक अनोखा मामला सामने आया है. इसमें एक व्यक्ति ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कि उसकी शादी एक लकड़ी से नहीं बल्कि एक लड़के साथ हो गई है.
‘मी लॉर्ड’ मेरी पत्नी लड़की नहीं, लड़का है. मैं उसके साथ नहीं रह सकता और मुझे उससे तलाक चाहिए. यह अनोखा मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है, जिसकी सुनवाई देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.
ग्वालियर निवासी एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा यह कहते हुए खटखटाया है कि उसकी पत्नी लड़की नहीं लड़का है. पति ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा कि उसके साथ धोखा हुआ है, क्योंकि उसकी शादी पत्नी के पुरुष होने की बात छुपाकर की गई है. पति ने कहा कि उसकी पत्नी का प्राइवेट पार्ट पुरुषों की तरह हैं और इसलिए वह उसके साथ नहीं रह सकता है. उसे तलाक दिया जाए.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ग्वालियर के उस शख्स की याचिका पर सुनवाई के लिए अब सहमत हो गया है जिसने इस आधार पर तलाक के लिए अर्जी लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद शुक्रवार को पत्नी से पति की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने हमारा ध्यान अन्य बातों के साथ-साथ इस पर आकर्षित किया है कि प्रतिवादी (पत्नी) का चिकित्सा इतिहास “लिंग प्लस इम्पेरफोरेट हाइमन” दिखाता है, इसलिए प्रतिवादी लड़की नहीं है. कोर्ट ने इसके बाद नोटिस का जवाब चार सप्ताह में देने को कहा है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले पति ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी इस मामले को उठाया था. उस वक्त हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को जारी रखते हुए शिकायत को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने इस आधार पर मामला खारिज किया था कि केवल मौखिक साक्ष्य के आधार और बिना किसी चिकित्सीय साक्ष्य के ये कोई अपराध नहीं बनता है और यह तलाक का आधार भी नहीं है. इसके बाद जब पति ने हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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