कब है लट्ठमार होली? फुलैरा दूज से लेकर रंगभरी एकादशी तक की जानें तिथि…

 त्योहार का हिंदू धर्म में एक खास महत्व होता है. रंगों के भरे इस त्योहार का एक खास धार्मिक महत्व है. होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. आपको बता दें कि फाल्गुन माह (Phalguna Month) 17 फरवरी से ही शुरू हो गया है.  फाल्गुन में पड़ने वाला होली (Holi) का पावन त्योहार देशभर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. होली को फाग उत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं. आपको बता दें कि  फाल्गुन महीने (Phalgun Purnima) के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलिकाष्टक (Holikashtak) लग जाएगा. जबकि कहते हैं कि फुलैरा दूज से होली के रंगों की खूशबू  हर तरफ बिखर जाता है. मान्यता है श्री कृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में राधारानी ठाकुर जी के साथ फूलों से होली खेलती हैं. फुलैरा दौज के दिन भक्तजन दूर-दूर से राधारानी मंदिर का नजारा देखने आते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कब लट्ठमार होली खेली जाएगी.

जानिए होली की जरूरी तिथियां

फुलैरा दूज की तिथि – 04 मार्च, दिन शुक्रवार . नंदगांव में फाग आमंत्रण महोत्सव की तिथि – 10 मार्च, दिन गुरुवार . बरसाना में लड्डू होली खेलने की तिथि – 10 मार्च, दिन गुरुवार . होलाष्टक प्रारंभ तिथि – 10 मार्च, दिन गुरुवार . बरसाना में लट्ठमार होली की तिथि – 11 मार्च, दिन शुक्रवार . नंदगांव में लट्‌ठमार होली की तिथि – 12 मार्च, दिन शनिवार . रंगभरी एकादशी की तिथि – 14 मार्च, दिन सोमवार . होलिका दहन की तिथि – 17 मार्च, दिन गुरुवार होली उत्सव कब मनाया जाएगा – 18 मार्च, दिन शुक्रवार

जानिए होलिका दहन 2022 तिथि एवं मुहूर्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 17 मार्च को दिन गुरुवार को दोपहर के वक्त 01:29 बजे से लगने वाली है, जो कि अगले दिन यानी कि 18 मार्च को दिन शुक्रवार को दोपहर 12:47 बजे तक रहने वाली है.ऐसे में बता दें कि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को ही होता है.होलिका दहन 17 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होगी.इस दिन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है.

होली का महत्व

कहते हैं कि जब होलिकाष्टक लग जाता है तो फिर उसके बाद किसी भी प्रकार का कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है. बता दें कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है. होली के त्योहार को लेकर  धार्मिक मान्यताओं में महत्व बताया गया है कि होली के 8 दिन पूर्व से भक्त प्रह्लाद को कई तरह ती यातनाएं देना शुरू हुई थीं, जिस कारण से ही होलिकाष्टक लगने के बाद से किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है.