दंतेवाड़ा में जन मिलिशिया सदस्य मंगलू पोडियम ने किया आत्मसमर्पण

दंतेवाड़ा, 14 फरवरी (वेदांत समाचार)। जिले में लोन वर्राटु अभियान से प्रभावित होकर आए दिन नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इस अभियान से प्रेरित होकर तीन ग्रामीणों के हत्यारे जन मिलिशिया सदस्य मंगलू पोडियम ने आत्मसमर्पण किया. नक्सली मंगलू पोडियम इंद्रावती एरिया कमेटी के अंतर्गत पितांपर पंचायत में जन मिलिशिया सदस्य के रूप में काम करता था. भोले-भाले ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर नक्सली संगठनों में जोड़ने का काम करता था. कई ग्रामीणों की हत्याओं में भी मंगलू शामिल था.

नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए दंतेवाड़ा प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. इनमें से एक लोन वर्राटू अभियान भी है. जिसका मतलब है ‘आओ घर लौट चलें’. यह अभियान काफी सफल हो रहा है. लगातार नक्सली लोन वर्राटू के तहत आत्मसमर्पण कर रहे हैं. अब तक 516 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिनमें 127 इनामी नक्सली हैं.



क्या है लोन वर्राटू अभियान (What is Lone Verratu Campaign)

लोन वर्राटू गोंडी शब्द है. इसका अर्थ ‘घर वापस आइए’ होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं, उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.

लोन वर्राटू अभियान की खास बातें (Highlights of Lone Verratu Campaign)

  • इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस -प्रशासन तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
  • सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
  • सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
  • यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है. इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
  • इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
  • लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है. इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.