ऑटो डेस्क। भारत में टू-व्हीलर्स गाड़ियों की भरमार है और अक्सर दोपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं के बारे में हम सुनते रहते हैं। ऐसे में अगर आप भी बाइक बीमा खरीदना चाहते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि बीमा कंपनी प्रीमियम की गणना कैसे करती है, और साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपको सबसे अच्छा सौदा कैसे मिल सकता है। मोटरसाइकिल का इंश्योरेंस करवाते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान में रखना चाहिए, जिसे यहां बताने जा रहे हैं।
आईडीवी बीमा
बीमित घोषित मूल्य या आईडीवी बीमा सीधे आपके द्वारा लिए गए कंपनी के अनुसार वाहन का वर्तमान बाजार मूल्य निर्धारित करता है। यह अधिकतम राशि होती है, जब आप कभी बीमा कंपनी को क्लेम करते हो। आपको बता दें, प्रीमियम की गणना सीधे आपके आईडीवी के प्रतिशत के रूप में की जाती है। ग्राहकों के सहुलियत के लिए बीमा कंपनियां आपको अपना खुद का आईडीवी चुनने का ऑप्शन भी देता है। हालांकि, यह पहले से तय आईडीवी की सीमा के भीतर होना चाहिए। जितना अधिक आप अपने आईडीवी के रूप में चुनेंगे, आपका प्रीमियम उतना ही अधिक होगा।
Third Party Vs Comprehensive Cover
पॉलिसी खरीदते समय आप थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जरूर चुनें, ऐसा करना अनिवार्य है, क्योंकि भारत सरकार थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को लेकर काफी शख्स है। पकड़े जाने पर आपके मोटरसाइकिल का चलान भी हो सकता है। थर्ड-पार्टी बाइक इंश्योरेंस वो है, जो थर्ड-पार्टी देनदारियों को कवर करता है। यह बीमा सरकार और भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा तय किया जाता है। हालांकि, स्वयं के नुकसान कवर का प्रीमियम बीमाकर्ता द्वारा तय किया जाता है। थर्ड-पार्टी कवर हमेशा कॉम्प्रिहेंसिव कवर की तुलना में सस्ता होगा लेकिन यह खुद के नुकसान या चोरी के मामले में आपकी सुरक्षा नहीं करेगा।
वाहन डेप्रिसिएशन
जब भी गाड़ी का कोई एक्सीडेंट होता है तो, दुर्घटना के दौरान टूट-फूट से गुजरते हैं। नतीजतन, इसका बाजार मूल्य कम हो जाता है। वाहन के मूल्य की गणना करने के लिए मोटर बीमा कंपनियों के अपने तरीके हैं। याद रखें कि आपके वाहन का मूल्य जितना अधिक होगा, बीमा प्रीमियम उतना ही कम होगा। यह आपके वाहन के बीमित घोषित मूल्य के साथ मिलकर काम करता है।
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