बिना आरक्षण रोस्टर के शिक्षक पदोन्नति प्रक्रिया में रोक लगाने की मांग : मनीराम जांगड़े

कोरबा 10 जनवरी (वेदांत समाचार)। अखिल भारतीय सतनामी युवा कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष मनीराम जांगड़े ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम जी को पत्र लिखकर मांग किया है वर्तमान में शिक्षा विभाग के द्वारा हजारों की संख्या में शिक्षकों की पदोन्नति की जा रही है लेकिन आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है इसलिए उक्त पदोन्नति पर तत्काल रोक लगाई जाए पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर मे रिट याचिका क्र.9778/2019 विष्णु प्रसाद तिवारी वर्सेस स्टेट आफ छ.ग. व जनहित याचिका क्र 91/2019 एस.संतोष कुमार वर्सेस स्टेट आफ छ.ग जिसकी सुनवाई अंतिम चरण पर है अंतिम निर्णय आने तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण एवं भारत के संविधान आर्टिकल 16(4)क,व 335 के अनुपालन में शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही पदोन्नति प्रकिया पर रोक लगाने का कष्ट करें।


उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन रायपुर के पात्र क्रमांक ऍफ़ 2-86 /2021 /20-दो नवा रायपुर दिनांक 06-01-2022 के द्वारा प्रधान पाठक प्राथमिक शाला शिक्षक तथा प्रधानपाठक पूर्व माध्यमिक शाला के पदो पर एल.बी.संवर्ग के शिक्षको का दिनांक 31.01.2022 तक पदोन्नति करने आदेश जारी किया गया हैं। वर्तमान के अनु.जाति व जनजाति पदोन्नति मे आरक्षण मामला कोर्ट में सुनवाई हेतु प्रक्रियाधीन है। ऐसी स्थिति में पदोन्नति मे जल्दबाजी करना अनुचित होगा। यदि आरक्षण रोस्टर के बगैर पदोन्नति दी जाती है तो राज्य के अनुसूचिंत जाति के 13 प्रतिशत व जनजाति वर्ग के के 32 प्रतिशत प्रधान पाठकों के पदों में नुकशान होगा जो कि अनु.जाति के लगभग 18000 व जनजाति वर्ग के लभग 40000 पदोन्नति के पद होंगे
महोदय, बहुसंख्यक अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग पिछले डेढ़ साल से पदोन्नति में आरक्षण बहाली हेतु विभिन्न माध्यमों से शासन प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाते आ रहे हैं। पदोन्नति मे आरक्षण प्रदान करने सुप्रीम कोर्ट के शर्तों के अनुरूप माननीय मनोज कुमार पिंगुआ के अध्यक्षता में गठित क्वांटिफिएबल डाटा कमेटी की रिपोर्ट मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन व सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत कर दिनांक 08.08.2021 को मा.मुख्यमंत्री की अध्यक्षता मे मंत्रीमंडल के बैठक मे अनु.जाति व जनजाति वर्गो के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की अनुशंषा सहित पदोन्नति मे आरक्षण जारी रखने अनुमोदित कर दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से पदोन्नति मे आरक्षण केस की पैरवी हेतु नियुक्त एड.मनोज गोरकेला सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दावा मा.उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रस्तुत कर दिया है। अगली सुनवाई दिनांक 11.01.2022 को निर्धारित है। एक-दो सुनवाई मे इस केस की अंतिम निर्णय आ जायगा अतः निवेदन है कि जब तक कि अंतिम निर्णयनहीं आ जाता शासन के इस सबसे बड़े विभाग में पदोन्नति किया जाना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति वर्ग के लिए अत्यंत ही नुकशान देय होगा।

      

अतः अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के लोक नियोजन में अवसर की समता का मौलिक अधिकारों का संरक्षण व शासकीय सेवाओं में एससी-एसटी वर्गों के दावे को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति मे आरक्षण से संबंधित माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर मे प्रक्रियाधीन रिट याचका में अंतिम निर्णय आने तक संविधान के आर्टिकल 16(4)क,व 335 के अनुपालन में शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही पदोन्नति प्रकिया पर रोक लगाने की कार्यवाही करने का कष्ट करेंगे यदि वर्तमान स्थति में पदोन्नतियां दी जाती है तो अनुसूचित जाति एवं जन जाति के बहुसंख्यक समाज को आर्थिक और सामाजिक नुकशान का सामना करना पड़ेगा जिसका परिणाम जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।