दुनियाभर में कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन आंतक मचा रहा है. कई देशों में इसकी वजह से कोरोना की नई लहर आ गई है और इससे बचाव के लिए कई देशों ने एक बार फिर सख्त पांबदियां लागू कर दी हैं. हालांकि दुनियाभर के विशेषज्ञ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन को जरूरी मान रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जिन्हें भी कोरोना वैक्सीन लगी हुई है, उन्हें संक्रमण कम प्रभावित कर रहा है. दुनियाभर में कोरोना की इस नई लहर के बीच भारत ने एक बार फिर संकटग्रस्त अफगानिस्तान की मदद की है. भारत ने नए साल के अवसर पर अफगानिस्तान को मानवीय सहायता उपलब्ध कराते हुए शनिवार को कोरोना वैक्सीन (COVAXIN) की 500,000 खुराक सौंपी हैं. भारत सरकार के मुताबिक अफगानिस्तान को कोरोना वैक्सीन की यह खेप काबुल स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल में सौंपी गई हैं.
जल्द ही बची हुई पांच लाख खुराकों की खेफ भी अफगानिस्तान को सौंपेगा भारत, खाद्यान्न आपूर्ति भी करेगा
भारत सरकार ने कहा कि वह अफगानिस्तान को मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. नए साल के अवसर पर अफगानिस्तान को पांच लाख वैक्सीन की खुराक दिए जाने के बाद भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि मानवीय सहायता के तहत अफगानिस्तान को कोरोना वैक्सीन की एक मिलियन खुराक दी जानी है. शनिवार को हुई वैक्सीन की आपूर्ति के बाद जल्द ही आने वाले हफ्तों में अफगानिस्तान को वैक्सीन की बची हुई पांच लाख खुराकोंं की आपूर्ति भी की जाएगी. भारत सरकार ने कहा कि जल्द ही अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाएगी. भारत सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक भारत अफगान के लोगों को खाद्यान्न, COVID वैक्सीन की एक मिलियन खुराक और आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं से युक्त मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि पिछले महीने की शुरुआत में, भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के माध्यम से अफगानिस्तान को 1.6 टन चिकित्सा सहायता प्रदान की थी. उन्होंंने बताया कि भारत सरकार आने वाले हफ्तों में अफगानिस्तान में गेहूं की आपूर्ति और शेष चिकित्सा सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारत सरकार परिवहन के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य लोगों के संपर्क में हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान ने गठित की है अंतरिम सरकार
बीते साल अफगानिस्तान एक बार फिर राजनीति तौर पर अस्थिर हुआ है. असल में अगस्त के महीने तालिबान ने काबूल पर कब्जा कर लिया था. इससे पूर्व ही राष्ट्रपति देश छोड़कर चले गए थे. हालांकि एक महीने बाद तालिबान ने देश में अंतरिम सरकार गठित की थी, लेकिन अभी तक तालिबान की अंतरिम सरकार को किसी भी देश से मान्यता नहीं मिल पाई है. जिसके चलते अंतरिम सरकार के पास फंड की कमी होने लगी है और अफगानिस्तान एक बार फिर कई तरह के संकटों का सामना कर रहा है.
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