नई दिल्ली । दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने के लिए राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी थर्मल प्लांटों को बंद किया जा सकता है। इससे सर्दियों में बिजली आपूर्ति को लेकर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में कोई असर नहीं पड़ेगा। यह दावा, गैर सरकारी संगठन रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने अपनी रिपोर्ट में किया है। सीआरईए ने अपनी यह रिपोर्ट पिछले साल के आंकड़ों और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के इस साल के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए दी है।
सीआरईए की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के 300 किमी के दायरे में स्थित थर्मल पावर प्लांटों ने पिछले साल 14 से 23 नवंबर तक बिजली उत्पादन नहीं किया था। इस बीच पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में बिजली की अधिकांश मांग को अन्य स्रोतों के जरिये पूरा किया गया था। इस अवधि के दौरान बिजली की मांग 175 मिलियन यूनिट से 275 मिलियन यूनिट तक रही और कमी 0 से 5 मिलियन यूनिट (उच्चतम मांग दिवस, 20 नवंबर का 0.65 प्रतिशत) की सीमा में रही। अन्य स्नोतों और क्षेत्रों ने पिछले साल 20 नवंबर को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को 269 मिलियन यूनिट बिजली प्रदान की थी।
दरअसल, दिल्ली एनसीआर की बहुत खराब और गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली के 300 किमी के दायरे में मौजूद 11 में से सिर्फ पांच थर्मल प्लांट को काम करने की अनुमति देते हुए शेष को 30 नवंबर तक बंद करने का आदेश दिया था। जिन पांच पावर प्लांटों को अनुमति मिली है, उनमें हरियाणा के झज्जर स्थित एनटीपीसी का पावर प्लांट, महात्मा गांधी थर्मल पावर प्लांट, पानीपत स्थित एचपीजीसीएल का पावर प्लांट, पंजाब के राजपुरा स्थित नाभा पावर प्लांट और पंजाब के ही मनसा स्थित तलवंडी साबो थर्मल पावर प्लांट शामिल है। हवा की गुणवत्ता प्रतिकूल श्रेणी में रहने के कारण बाद में इन दिशा-निर्देशों को 15 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया।
सीआरईए ने रिपोर्ट में कहा है कि आयोग के निर्देश कम हैं, क्योंकि अन्य सभी थर्मल प्लांट 12 नवंबर से कम मांग या अन्य कारणों से काम नहीं कर रहे थे, इसलिए यह कार्रवाई प्रभावी रूप से किसी भी उत्सर्जन भार में कमी नहीं कर सकी।
आयोग ने ये निर्देश दिया था: वास्तव में आयोग ने निर्देश दिया था कि दादरी पावर प्लांट की चार इकाइयां, जिनमें सल्फर डाइआक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए फ्लू-गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) इकाइयां स्थापित हैं। उन्हें बंद कर दिया जाए। इसके विपरीत, एसओटू नियंत्रण के बिना अन्य लोगों को संचालित करने की अनुमति दी गई है। इसका अर्थ अपेक्षाकृत उच्च उत्सर्जन और प्रदूषण है। इसके बजाय, दादरी में जिन चार इकाइयों ने एसओटू नियंत्रण स्थापित किया है, उन्हें अन्य लोगों के स्थान पर अनुमति दी जा सकती है, जिनके पास एफजीडी स्थापित नहीं है।
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