वडोदरा में ‘आयुर्वेदिक सिरप’ के रूप में चला रहे थे शराब बनाने का कारोबार, छापेमारी के बाद हिरासत में लिए दो लोग….

09 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। गुजरात के वडोदरा में प्रिवेंशन ऑफ क्राइम ब्रांच (पीसीबी) ने आयुर्वेदिक सिरप की आड़ में शराब बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया. मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया है. बताया जा रहा है कि पीसीबी की एक इकाई ने 2 दिसंबर को शंकरदा गांव में छापा मारा.

सूचना मिली थी कि दुर्गा इंडस्ट्रियल एस्टेट के एक कारखाने में शराब बनाने का कारोबार चल रहा है. छापेमारी में सैकड़ों लीटर इथेनॉल मिला. आरोप है कि आरोपी यूनिट में शराब बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहा था. एजेंसी ने फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए नमूने भेजे, जिसकी रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि प्राथमिक घटक एक मादक पदार्थ था.

दो लोग हिरासत में
जानकारी के मुताबिक, आरोपी नितिन कोटवानी और तृप्ति पांचाल को हिरासत में लिया गया है. आरोपी नितिन कोटवानी को पहले भी डुप्लीकेट सैनिटाइजर रैकेट में गिरफ्तार किया जा चुका है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. जमानत पर रिहा होने के बाद, वह एक आयुर्वेदिक शंखनाद बनाने की आड़ में शराब बनाने में शामिल हो गया.

कोविड -19 टेस्ट के बाद गिरफ्तारी
पुलिस के मुताबिक, कोविड-19 टेस्ट के बाद दोनों को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया जाएगा. उन पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी के साथ-साथ निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.

11 महीने पहले राजकोट में भी आया था ऐसा ही मामला
बता दें, इसी साल 15 जनवरी को गुजरात के ही राजकोट में पुलिस ने एक पान की दुकान पर छापा मारा था. वहां आयुर्वेदिक दवा के रूप में बेची जा रही शराब को सीज किया गया था. पुलिस ने दुकान पर 724 बोतलों के स्टॉक को सीज करा था. बताया गया कि आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine) के रूप में बहुत से ब्रांड की शराब बेची जा रही है. इन दवाओं में बड़ी मात्रा में अल्कोहल (Alcohol)मौजूद था. इन दवाओं की राजकोट में बहुत ही डिमांड थी.

गुजरात एक ड्राई स्टेट
बता दें, पीएम नरेंद्र मोदी का गृहराज्य गुजरात एक ड्राई स्टेट है, यानी इस राज्य में शराब पर पाबंदी है. नियमों के अनुसार, गुजरात में किसी भी तरह की शराब बेचने पर पाबंदी है. लेकिन फिर भी 19.5 लाख से अधिक लोगों को शराब की लत लगी हुई है. हालांकि, नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे (NHFS) के आंकड़ों पर नजर डालें तो सर्वे में साल 2015 में शहर के 10.6 फीसदी पुरुष शराब पीते थे, लेकिन अब 5 साल के बाद इनकी संख्या घट कर सिर्फ 4.6 फीसदी रह गई है.