4000 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार ने अब तक बांटे 2071 करोड़ रुपए

सरकार ने एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 4003 प्रोजेक्ट्स के लिए 2071 करोड़ का फंड जारी किया है. यह जानकारी एग्रिकल्चर मिनिस्टर नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन में दी है. तोमर ने लोकसभा में लिखित में कहा कि कुल 8488 प्रोजेक्ट्स के लिए अब तक 6098 करोड़ का फंड स्वीकृत किया गया है. इनमें से 4003 प्रोजेक्ट्स के लिए 2071 करोड़ का फंड बांटा जा चुका है.

तोमर ने कहा कि 8488 प्रोजेक्ट्स में सबसे ज्यादा 1954 प्रोजेक्ट्स मध्य प्रदेश के लिए स्वीकृत किए गए हैं. इसके बाद 1424 प्रोजेक्ट्स आंध्र प्रदेश, 900 प्रोजेक्ट्स कर्नाटक के लिए, 684 प्रोजेक्ट्स उत्तर प्रदेश के लिए, 654 प्रोजेक्ट्स राजस्थान के लिए और 555 प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र के लिए स्वीकृत किए गए हैं.

कहां कितने प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी

तोमर ने कहा कि 5067 प्रोजेक्ट्स को प्राइमरी एग्रिकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी के लिए मंजूरी दी गई है. 2576 प्रोजेक्ट्स को एग्रि-एंटरप्रेन्योर के लिए, 685 प्रोजेक्ट्स को इंडिविजुअल फार्मर के लिए और 53 प्रोजेक्ट्स को स्टार्टअप्स के लिए मंजूरी दी गई है.

2020 में इस फंड का गठन किया गया

सरकार ने 2020 में एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड का गठन किया था. इस फंड की मदद से वित्त वर्ष 2025-26 तक किसानों और खेती के लिए मीडियम लॉन्ग टर्म लोन बांटा जाता है.

योजना में क्या खास है?

-एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत लोन (Loan) पर ब्याज में 3 फीसदी की छूट मिलेगी.
-कर्ज देने वाले बैंक को 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर बैंक गारंटी सरकार देगी.
-एक स्थान पर दो करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता मिलेगी.
-यानी यदि एक इकाई कई जगहों पर प्रोजेक्ट शुरू करती है तो सभी के लिए ब्याज सहायता मिलेगी.
-प्राइवेट सेक्टर के लिए ऐसी प्रोजेक्ट की अधिकतम सीमा 25 तय की गई है.
-योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष 2032-33 तक कर दी गई है.

मंडी बंद होने की आशंका दूर करने की कोशिश

अब कृषि उपज मंडी समितियां (APMC) की क्षमता के विस्तार के लिए भी इस फंड का इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसी 8 जुलाई इस योजना में संशोधन करके यह फैसला लिया गया है. यानी अब कृषि मंडियों के भीतर कोल्ड स्टोरेज, साइलो और छंटाई इकाइयों के लिए 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज सहायता दी जा सकेगी. सरकार की कोशिश यह है कि किसान आंदोलन (farmers protest) कर रहे लोगों के मन से यह आशंका दूर हो कि नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के बाद मंडियों को समाप्त कर दिया जाएगा.