फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा समेत 12 सांसद पूरे सत्र के लिए राज्‍यसभा से निलंबित, पिछले सेशन में अनुशासनहीनता को लेकर कार्रवाई

राज्यसभा (Rajya Sabha) ने अपने शीतकालीन सत्र (Winter Session) के पहले दिन सांसदों पर बड़ी कार्रवाई की है. सदन ने सोमवार को शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) और तृणमूल सांसद डोला सेन (Dola Sen) सहित अपने 12 सदस्यों को मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया है. इनके खिलाफ मानसून सत्र में (11 अगस्त को) अनुशासनहीनता फैलाने के आरोप में कार्रवाई की गई है.

प्रियंका चतुर्वेदी और डोना सेन के अलावा सोमवार को निलंबित किए गए सांसदों में एलमारन करीम (सीपीएम), कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, CPI के बिनॉय विश्वम, टीएमसी के शांता छेत्री और शिवसेना के अनिल देसाई शामिल हैं. निलंबन नोटिस में कहा गया है कि सांसदों ने 11 अगस्त को मानसून सत्र के आखिरी दिन अपने हिंसक व्यवहार से और सुरक्षाकर्मियों पर जानबूझकर किए गए हमलों से सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है.

राज्यसभा के फैसले से नाराज शिवसेना सांसद 

राज्यसभा द्वारा की गई कार्रवाई पर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘अगर आप सीसीटीवी फुटेज देखें तो यह रिकॉर्डेड है कि कैसे पुरुष मार्शलों ने महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की थी. एक तरफ ये सब और दूसरी तरफ आपका फैसला? यह कैसा असंसदीय व्यवहार है?’ उन्होंने आगे कहा, ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, वहां भी आरोपी की बात को सुना जाता है. उनके लिए वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं. कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है, मगर यहां हमारा पक्ष नहीं लिया गया.’

‘सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ’

वहीं, विपक्ष का कहना है कि 12 सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ है क्योंकि नियम 256 के मुताबिक, सदस्य को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित किया जाता है. जबकि मॉनसून सत्र 11 अगस्त को ही समाप्त हो चुका है. ऐसे में इस सत्र में सदस्यों का निलंबन किया जाना पूरी तरह से अनुचित है. गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन यानी 11 अगस्त को उच्च सदन राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था. विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि उन पर उन मार्शलों ने हमला किया जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा भी नहीं थे. हंगामे पर सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक पुरुष मार्शल को सीपीएम सांसद एलमारन करीम ने जबकि राज्यसभा की एक महिला मार्शल पर छाया वर्मा और कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम ने हमला किया था.