देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) प्राइवेट सेक्टर के लेंडर कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर करीब 10 फीसदी करेगी. कोटक महिंद्रा बैंक ने शेयर बाजार को सोमवार को बताया कि बैंक में एलआईसी (LIC) की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रस्ताव को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी मिल गई है. बैंक ने बताया कि उसे एलआईसी से इस मंजूरी के बारे में सूचना मिली है.
बैंक की चुकता इक्विटी शेयर पूंजी में एलआईसी की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 9.99 फीसदी करने का प्रस्ताव है. गत 30 सितंबर को बैंक में एलआईसी की हिस्सेदारी 4.96 फीसदी थी.
प्रमोटर्स उदय कोटक और परिवार की कोटक महिंद्रा बैंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि कनाडा पेंशन योजना निवेश बोर्ड की 6.37 फीसदी हिस्सेदारी है. 2020 में, प्रमोटर हिस्सेदारी को 15 फीसदी तक कम करने के आरबीआई के निर्देश के खिलाफ कोटक ने अदालत का रुख किया. बाद में आरबीआई ने कोटक को 26 फीसदी पर हिस्सेदारी बनाए रखने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की.
1 साल तक वैलिड है मंजूरी
बैंक में हिस्सा बढ़ाने का यह प्रस्ताव निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरों के अधिग्रहण या मताधिकार के लिए आरबीआई की पूर्व-अनुमति लेने के दिशा-निर्देशों के अधीन है. इसके अलावा बाजार नियामक सेबी (Sebi) भी विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों पर गौर करता है. कोटक महिंद्रा बैंक के मुताबिक यह मंजूरी एक साल की अवधि के लिए वैध है.
26 नवंबर को आरबीआई ने भारतीय निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए स्वामित्व और कॉर्पोरेट संरचना पर एक केंद्रीय बैंक कार्य समूह द्वारा प्रस्तुत 33 सिफारिशों में से 21 को स्वीकार कर लिया. स्वीकृत सिफारिशों में से एक नियम है जो कहता है कि 15 वर्षों के लंबे समय में प्रमोटरों की हिस्सेदारी की सीमा को बैंक की पेड-अप वोटिंग इक्विटी शेयर पूंजी के मौजूदा 15 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी किया जा सकता है.
आरबीआई ने कहा, यह शर्त सभी प्रकार के प्रमोटरों के लिए एक समान होनी चाहिए और इसका मतलब यह नहीं होगा कि प्रमोटर, जिन्होंने पहले ही अपनी हिस्सेदारी को 26 फीसदी से कम कर दिया है, उन्हें इसे बैंक की पेडअप वोटिंग इक्विटी शेयर पूंजी के 26 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति नहीं होगी.
प्रमोटर, अगर वह चाहे तो पांच साल की लॉक-इन अवधि के बाद किसी भी समय होल्डिंग को 26 फीसदी से नीचे लाने का विकल्प चुन सकता है. केंद्रीय बैंक ने 20 नवंबर को प्राइवेट बैंकों के स्वामित्व और कॉर्पोरेट संरचना पर आंतरिक कार्य समूह (IWG) की सिफारिशों पर एक रिपोर्ट जारी की.
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