हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतरविरोध नहीं है : अमित शाह

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly elections) की तैयारियों को लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री और बीजपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह (Amit Shah) राज्य के दौरे पर हैं.वाराणसी में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए  अमित शाह ने कहा कि अगर तुलसीदास ने अवधि में रामचरित मानस न लिखा होता तो रामायण विलुप्‍त हाे जाती.  उन्‍होंने कहा कि, मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं, गुजरात से आता हूं, मेरी मातृभाषा गुजराती है। मुझे गुजराती बोलने में कोई परहेज नहीं है। लेकिन, मैं गुजराती ही जितना बल्कि उससे अधिक हिंदी प्रयोग करता हूं.

अमित शाह ने कहा कि, अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राजधानी दिल्ली से बाहर करने का निर्णय हमने वर्ष 2019 में ही कर लिया था. दो वर्ष कोरोना काल की वजह से हम नहीं कर पाएं, परन्तु आज मुझे आनंद है कि ये नई शुभ शुरुआत आजादी के अमृत महोत्सव में होने जा रही है. आजादी के अमृत महोत्सव के तहत में देश के सभी लोगों का आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं. हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतरविरोध नहीं है.