One Nation-One Ombudsman: बैंकिंग ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने इंटिग्रेटेड ओंब्डस्मैन स्कीम शुरू की है. इसका मकसद आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड इकाइयों के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतें के समाधान की बेहतर व्यवस्था मिलेगी. ये स्कीम वन नेशन-वन ओंब्डस्मैन पर आधारित है. इसमें ग्राहकों को शिकायत करने के लिए एक पोर्टल, एक ईमेल और एक एड्रेस की सुविधा दी गई है. शिकायतों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने, दस्तावेजों को सब्मिट करने और फीडबैक देने के लिए एक जगह मिलेगी. शिकायतें के समाधान और शिकायत दर्ज कराने में मदद करने के लिए कई भाषाओं में एक टोल फ्री नंबर भी मिलेगा.
सभी बैंकों में इन दिनों ग्राहकों की शिकायतें निपटाने की खास व्यवस्था है. यह अलग बात है कि कई ग्राहक इससे संतुष्ट नहीं होते हैं. अगर आप बैंक की शिकायत निपटान प्रक्रिया से असंतुष्ट हैं तो बैंकिंग ओम्बड्समैन का दरवाजा खटखटा सकते हैं. हालांकि, इस तरह की शिकायत से पहले आपको कुछ तौर-तरीकों को अपनाना पड़ेगा. यहां हम उनके बारे में बता रहे हैं. पहला कदम : बैंक ओम्बड्समैन (बीओ) कार्यालय की जगह पहले अपने बैंक के पास शिकायत दर्ज करें. दूसरा कदम : यदि बैंक से आपको 30 दिनों के भीतर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है या आप उसके जवाब से असंतुष्ट हैं तो ओम्बड्समैन के पास संपर्क किया जा सकता है. बैंक से जवाब मिलने के एक साल के भीतर इस तरह की शिकायत करनी हो.
तीसरा कदम : उसी बैंकिंग ओम्बड्समैन के पास शिकायत दर्ज करें जिसके क्षेत्राधिकार में ब्रांच या बैंक का ऑफिस आता है. कार्ड या केंद्रीय ऑपरेशनों से जुड़ी शिकायतों के लिए आपके बिलिंग एड्रेस से बैंकिंग ओम्बड्समैन का अधिकार क्षेत्र तय होगा.चौथा कदम : लिखित शिकायत के लिए www.bankingombudsman.rbi.org.in पर उपलब्ध फॉर्म को डाउनलोड कर उसे पूरा भरें. इसमें नाम, पता, शिकायत से जुड़ी जानकारी देनी होगी.
पांचवां कदम : कम्प्लेंट फॉर्म के साथ अपने पक्ष में दस्तावेज जमा करें.छठा कदम : आप इस लिंक की मदद से ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. https://secweb.rbi.org.in/BO/precompltindex. htm
सातवां कदम : बैंकिंग ओम्बड्समैन आपके केस की जांच करेंगे. वे आपसी बातचीत के जरिए बैंक और ग्राहक में सुलह कराने की कोशिश करते हैं. मामले में आदेश भी सुनाया जा सकता है.आठवां कदम : यदि आप ओम्बड्समैन के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं तो कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. क्या है ध्यान देने वाली बात? किसी फ्रॉड की जिम्मेदारी बैंक पर डालने के लिए आपको तीन दिन के भीतर अनधिकृत लेनदेन की जानकारी देनी होगी. संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जानकारी तीन दिन के बाद और सात दिनों के भीतर देने पर देनदारी की सीमा 25,000 रुपये तय हो जाती है. इसके बाद देनदारी बैंक के विवेकाधिकार पर निर्भर करती है.
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