विरासत में मिली प्रॉपर्टी, रुपये-पैसे और शेयर आदि कई लोगों से जुड़े मुद्दे हैं. ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति जीते जी बैंक खाते, फंड, शेयर, एफडी-आरडी स्कीम में पैसे लगाता है. जिंदगी में अपने नाम से प्रॉपर्टी खरीदता है लेकिन समय रहते वसीयत नहीं बना पाता और दुनिया छोड़ कर चला जाता है. ऐसी स्थिति में अगर उनकी पत्नी हैं तो उन्हें संपत्ति का अधिकार मिलता है. अगर पत्नी न हों तो बेटे-बेटियों में इसकी हिस्सेदारी बंट जाती है. बेटे-बेटी सन्मति वाले हों तो प्रॉपर्टी का लफड़ा नहीं होता. अन्यथा कई बार मामला कोर्ट में चला जाता है. जिन लोगों के साथ ऐसी स्थिति है, उन्हें इनकम टैक्स के रूल जान लेने चाहिए.
इनकम टैक्स के नियम में आप जान पाएंगे कि अगर आपके पिताजी अपने पीछे बड़ी विरासत छोड़ गए हैं, आप अगर कई भाई-बहन हैं तो इनकम टैक्स की क्या देनदारी बनेगी. इसे इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाएंगे. टैक्स अदायगी कैसे करेंगे कि नोटिस का कोई झंझट न हो. इसका एक साफ नियम है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी भी अन्य व्यक्ति को (रिश्तेदार हो या गैर) उत्तराधिकारी के तौर पर या वसीयत में कोई भी प्रॉपर्टी मिलती है तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आएगी. इनकम टैक्स की धारा 56 में इसका स्पष्ट नियम बताया गया है. यानी कि विरासत या उत्तराधिकारी के तौर पर मिले पैसे, धन-दौलत या प्रॉपर्टी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
पिता की संपत्ति पर टैक्स नहीं
इस हिसाब से जान लें कि अगर आपके पिताजी के डिपॉजिट या शेयर मिलते हैं, तो उस पर कोई टैक्स आपकी तरफ से नहीं देना होगा. लेकिन यह छूट तभी तक है जब तक उस प्रॉपर्टी, शेयर, पैसा या धन-दौलत को अपने पास रखते हैं. आप जैसे ही उस प्रॉपर्टी को बेचते हैं तो उस पर होने वाली कमाई अपने आप टैक्स के दायरे में आ जाती है. पिता की कोई भी अचल संपत्ति है जिसे आप बेचते हैं तो उसकी कीमत आपकी कीमत मानी जाती है क्योंकि वह अब आपके नाम है. ऐसे में यह कमाई कैपिटल गेन्स के दायरे में आएगी.
अपना टैक्स स्लैब देखे लें और जान लें कि इंडेक्सेशन के बाद कितना मुनाफा हो रहा है. फिर उसी हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. बैंक बैलेंस है या डिपॉजिट है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन अचल संपत्ति बेचने पर टैक्स देना होगा.
कब चुकाना होता है टैक्स
एचयूएफ के तहत कर्ता को टैक्स जमा करना होगा. अगर पिता कीं संपत्ति पर कई लोगों का अधिकार है तो प्रॉपर्टी बेचने पर सभी हिस्सेदारों को टैक्स देना होगा. एक उदाहरण यह मान कर चलें कि कोई प्रॉपर्टी है जिसमें चार भाइयों की हिस्सेदारी है. यह प्रॉपर्टी अभी बंटी नहीं है तो सवाल है कि प्रॉपर्टी बेचने पर किसे टैक्स चुकाना होगा. इसमें नियम यह है कि प्रॉपर्टी भले न बंटी हो लेकिन चार भाई हैं तो टैक्स को चार हिस्से में बांट कर चुकाना होगा. उस प्रॉपर्टी को बेचने पर जो रकम मिलती है, उसे 4 भाई चार बराबर हिस्से में बांट कर इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाएंगे. यानी कि चारों भाइयों को बराबर हिस्से में टैक्स चुकाना होगा. किसी एक भाई पर इसका सारा दबाव नहीं होगा.
बराबर देना होगा आयकर
अंत में अगर एक लाइन में टैक्स का नियम समझना चाहें तो यह है कि चार भाई अगर पिता से मिली विरासत में संपत्ति, बैंक बैलेंस, शेयर, एफडी या अचल संपत्ति अपने पास रखते हैं, उसे नहीं बेचते हैं तो कोई टैक्स की देनदारी नहीं बनेगी. लेकिन वही प्रॉपर्टी बेची जाए तो उस पर होने वाली कमाई कैपिटल गेन्स में आएगी. चारों भाइयों को इन कैपिटल गेन्स को 4 हिस्से में बांट कर टैक्स चुकाना होगा और ITR में जानकारी देनी होगी.
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