आखिर किनकी आंखों में धूल झोंक रहे खनिज अधिकारी..? कभी नोटिस तो कभी मोहलत के बहाने दे रहे बचने-बचाने चल रहा खेल
कोरबा – जिले में रेत की एक अलग-सी कहानी चल रही है। खनिज विभाग रेत के अवैध कारोबारियों को जहां बचाने की जहमत पुरजोर तरीके से उठा रहे है वहीं प्रशासनिक तौर पर भी कोई सख्ती इन रेत माफियाओं और सम्बंधित अधिकारियों पर हो रही है । जिससे शासन को लाखो रुपय की राजस्व क्षति पहुंचाते हुए चंद लोगों द्वारा अपनी जेब भरने में लगे हुए है।
इन बातो को अधिकारी के संज्ञान में लाने के बाद नोटिस तो कभी मोहलत देने का खेल बदस्तूर जारी है। रेत के खेल में इनके हाथ काफी गहरे तक धंसे हुए हैं । जागती आंखों से सब कुछ देखने के बाद भी खनिज अधिकारी और मैदानी अमला आखिर किनकी आंख में धूल झोंकने का काम कर रहे है? यह भी गजब है कि मांगे जाने पर जारी की गई नोटिस अथवा दी गई मोहलत कार्यवाही की प्रति उपलब्ध कराने में कई तरह की बहानेबाजी कर देते हैं वहीं दूसरी ओर विभाग की अन्य जांच/आदेश/प्रतिवेदन/कार्यवाही संबंधी गोपनीय जानकारी कहीं न कहीं से लीक कर दूसरों के हाथों तक पहुंच जाती है। अधिकारी जहां एक ओर गोपनीयता का हवाला मीडिया को देते हैं तो दूसरी ओर अपने ही दफ्तर से लीक होने वाले दस्तावेजी जानकारियों को रोक पाने में नाकाम भी हैं। ऐसे कई मौके आ चुके हैं जब विभाग की गोपनीय जानकारियां सार्वजनिक हुई हैं लेकिन सहज व सद्भावपूर्वक मांगे जाने पर उपलब्ध कराने में परहेज किया जाता है। यह तो प्रत्यक्ष सवाल है कि अगर किसी खनिज कारोबारी ने गलत किया है तो त्वरित कार्यवाही क्यों नहीं होती और अधिकारी बिना सांठगांठ के काम कर रहे हैं तो सही जानकारी देने से क्यों बच रहे हैं?
शहर सहित जिले के अनेक इलाकों में रेत का अवैध खनन करने वालों पर खनिज विभाग की लगाम नहीं कस पा रही है। प्रतिबंध अवधि में भी नदी- नाला से रेत खोदकर निकाली और परिवहन की बातें सामने आ रही हैं तो दूसरी तरफ संज्ञान में लाने के बाद भी त्वरित कार्रवाई की बजाय बचने का मौका देने के लिए नोटिस का खेल खेला जा रहा है। पिछले दिनों सीतामढ़ी रेत घाट का मामला प्रमुखता से सामने लाया गया था , जहां नियमों के विपरीत जाकर व एनजीटी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए संबंधित अधिकारियों ने रेत घाट के निकट ही, कहें तो एक तरह से रेत घाट में ही भंडारण की अनुमति दे दी। रेत खनन की प्राप्त अनुमति मात्रा से कई गुना ज्यादा रेत का यहां भंडारण नजर आया क्योंकि यहां ठेकेदार द्वारा परिवहन के लिए लाए जाने वाले ट्रैक्टरों में भंडारण की रेत नहीं बल्कि सीधे नदी से मशीन के जरिए खनन कर रेत लदवाई जा रही थी।सीधे तौर यह कहा जा सकता है की रेत के खेल में अधिकारी मालामाल हो रहा है और शासन को लाखो रूपये का चूना लग रहा है ।
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