योगिनी एकादशी व्रत 5 जुलाई सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन श्रीहरि विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 4 जुलाई रविवार को शाम 07 बजकर 55 मिनट से होगा, जिसका समापन 05 जुलाई को रात 10 बजकर 30 मिनट पर होगा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चाेपड़ा ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु जी को अक्षत्, पीले पुष्प, पीले वस्त्र, पीली मिठाई, पंचामृत आदि अर्पित किया जाता है। योगिनी एकादशी व्रत को लेकर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति को कुष्ठ रोग या कोढ़ से मुक्ति मिलती है। अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से मृत्यु के बाद उनके चरणों में स्थान मिलता है।
योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु को साक्षी मानकर योगिनी एकादशी व्रत का संकल्प लें। उसके बाद घर में पूजा स्थल पर वेदी बनाकर उस पर 7 प्रकार के धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें। अब भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उन्हें पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल चढ़ाएं। अब धूप-दीप से विष्णु की आरती करें। इसी विधि से शाम को भी भगवान विष्णु की पूजा करें। आरती उतारने पश्चात फलाहार ग्रहण करे।अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
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