जनगणना का नया चक्र: 2025 में होगी शुरुआत…

संप्रदाय के आधार पर भी जानकारी ले सकती है सरकार
नई दिल्ली ,28(वेदांत समाचार )। हर 10 साल में होने वाली जनगणना को लेकर सरकार ने बड़े बदलाव की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार, अब जनगणना की शुरुआत 2025 में होगी, जो एक साल चलेगी और इसके बाद अगली जनगणना 2035 में की जाएगी। इस बदलाव के साथ, दशक के आरंभ में होने वाली जनगणना की परंपरा में अब परिवर्तन आ गया है।

2011 के बाद, अगली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। अब 2025 से नया चक्र शुरू होने के बाद, 2035, 2045 और 2055 में अगली जनगणनाएँ निर्धारित की गई हैं।

परिसीमन 2028 तक संभव
जनगणना पूरी होने के बाद लोकसभा सीटों के परिसीमन का काम शुरू होगा, जो 2028 तक संपन्न होने की संभावना है। परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान जनसंख्या के आधार पर संसदीय सीटों का पुनर्गठन किया जाएगा।

संप्रदाय के आधार पर जानकारी लेने पर विचार

सरकार, इस बार जनगणना में धर्म और वर्ग के साथ-साथ संप्रदाय के आधार पर भी जानकारी प्राप्त करने पर विचार कर रही है। अब तक जनगणना में धार्मिक वर्गों का उल्लेख होता आया है, परंतु यह पहली बार है कि अलग-अलग संप्रदाय की पहचान पर भी जानकारी ली जा सकती है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में लिंगायत समुदाय सामान्य वर्ग में होने के बावजूद एक अलग संप्रदाय मानता है। इसी प्रकार, अनुसूचित जाति में भी विभिन्न समुदायों जैसे वाल्मीकि और रविदासी को संप्रदाय के रूप में दर्ज करने की संभावना है।

जातिगत जनगणना पर अभी निर्णय लंबित
हालांकि कई विपक्षी दलों ने जातिगत जनगणना की मांग उठाई है, सरकार ने अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। लेकिन बढ़ते राजनीतिक दबाव को देखते हुए केंद्र इस पर विचार कर रही है। जातिगत आंकड़े मिलने से भविष्य में आरक्षण और अन्य योजनाओं को सही दिशा देने में सहूलियत हो सकती है।

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