धमतरी, 06 सितंबर (वेदांत सामाचार)। हेल्थ चेकअप के बहाने स्वामी आत्मानंद स्कूल की छात्राओं से छेड़छाड़ करने के आरोपी डॉक्टर को अब तक बर्खास्त नहीं किया गया है। इससे शासन प्रशासन की किरकिरी हो रही है। विष्णु के सुशासन में कार्रवाई नहीं होने से नाराज छात्राओं के परिजनों ने मीडिया के माध्यम से डॉक्टर की सेवा समाप्त करने की मांग उठाई है।
नियम के मुताबिक जाते ही सेवा समाप्त लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
इधर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदाकर्मी डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज होते ही उसकी सेवा समाप्त हो जाना चाहिए था। उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आरोपी डॉक्टर को बचाने में जुटे हुए है। यही कारण है कि संविदाकर्मी होने के बावजूद उसके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि ऐसे मामलों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम द्वारा सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जाती रही है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
डॉक्टर के भय से कांप रहे सीएमएचओ के हाथ
खबर यह भी है कि धमतरी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के जिम्मेदार अफसरों ने डॉक्टर के भय से उसकी सेवा समाप्त नहीं की है। बताया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर कुलदीप आनंद के खिलाफ पूर्व में भी महिलाओं के साथ बदसलूकी के मामले सामने आये थे। लेकिन तत्कालीन सीएमएचओ ने उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया।
पुलिस को विभाग ने नहीं दी जानकारी
दूसरी ओर जब स्कूली छात्राओं के साथ डॉक्टर ने छेड़छाड़ की वारदात को अंजाम दिया तब भी सीएमएचओ डॉ.यूएल कौशिक ने व्यस्तता का बहाना बनाते हुए पुलिस को इस मामले की लिखित जानकारी नहीं दी। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पूरा स्वास्थ्य विभाग इस बदमाश डॉक्टर को बचाने में जुटा हुआ है। वहीं, धमतरी पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय ने सीएमएचओ से पुलिस को घटना की जानकारी देने में देरी करने को लेकर नोटिस जारी किया है। उसमें सीएमएचओ ने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्लाझाड़ लिया है। जबकि महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा से संबंधित मामलों में ऐसी लापरवाही भारी पड़ सकती थी।
आरोपी डॉक्टर आखिर कब होगा बर्खास्त
स्कूल की मासूम बच्चियों से छेड़छाड़ की घिनौनी वारदात को अंजाम देने वाले डॉक्टर पर मेहरबानी के कारण जिला प्रशासन की किरकिरी हो रही है। उसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। आखिर क्या वजह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा छेड़छाड़ के संगीन मामले में आरोपी डॉक्टर का बचाव किया जा रहा है।
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