अनोखा थाना : जहां मुर्गे करते हैं सिपाही बनकर पहरेदारी

आपने पुलिसवालों को लोगों की रक्षा करते या रखवाली करते हुए तो बहुत देखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ पुलिसवालों की रखवाली मुर्गे करते हैं. जानकर थोड़ा अटपटा जरूर लगा होगा लेकिन ये हकीकत है. देश के उत्तर प्रदेश में एक ऐसा भी थाना है जहां पर मुर्गे थाने की रखवाली करते हैं. बताया जाता है कि इन मुर्गों के होते हुए थाने पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता. यही नहीं इन मुर्गों के होते हुए इस थाने में किसी भी तरह की कोई अनहोनी की घटना भी नहीं होती है. 

आप जब इस थाने में जाएंगे तो आपके आसानी से दिख जाएगा कि यहां पर कई मुर्गे  बेखौफ विचरण करते रहते हैं.  यह मुर्गे किसी पोलट्री फार्म पर नहीं बल्कि बलिया जनपद के सिकंदरपुर थाने में रहते हैं और यहीं की रखवाली भी करते हैं. 


बताया जाता है कि इस थाने में एक दो नहीं बल्कि 350 ऐसे मुर्गे हैं जो इसकी रखवाली करते हैं. यहीं पर रहते हैं खाते-पीते भी हैं. किसी को परेशान नहीं करते. बताया जाता है कि किसी श्रद्धालू ने अपनी मुराद पूरी होने पर इस मुर्गों को यहां छोड़ा था. अब वे‌ बाबा के सिपाही के रूप में जाने पर पहरा देते हैं. 


मिली जानकारी के मुताबिक बलिया के इस थाने के अंदर शहीद बाबा की मजार है. इस मजार पर बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने आते हैं. बताया जाता है कि कई लोगों को मन्नतें यहां पर पूरी भी हुई हैं.  सिकन्दरपुर थाने में स्थित इस मजार मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मुर्गा चढ़ाते हैं. इस थाने की यह भी मान्यता है कि बाबा थाने के कोतवाल बनकर थाने और नगर की रक्षा करते हैं और मुर्गे बाबा के सिपाही बनकर किसी भी अनहोनी का होने से पहले ही संकेत देते हैं. 


खास बात यह है कि अगर किसी भी तरह की अनहोनी होनी होती है तो ये पहले ही शोर करके उसका संकेत कर देते हैं. थाने में कोई भी काम बाबा को मत्था टेके बिना शुरू नहीं होता. यहां तक की थाने के प्रभारी भी हर दिन सुबह पहले बाबा का वंदन करते हैं फिर अपनी ड्यूटी शुरू करते हैं. 

गुरुवार को चढ़ाई जाती है चादर


इस थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों की ओर से थाना प्रभारी हर गुरुवार को यहां चादर भी चढ़ाते हैं. कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगी जाती है बाबा उसकी मुराद जरूर पूरी करते हैं.  इसके बाद लोग यहां जिंदा मुर्गे उनकी चोंच रगड़कर चढ़ाते हैं, जिसके बाद वह मुर्गे यहां से कभी जाते भी नहीं है. 

जब कभी किसी मुर्गे की मृत्यु भी हो जाती है तो यहां के स्टाफ बकायदा उसको सुपुर्द-ए-खाक करते हैं.   यह मजार भारत की खुबसूरती यानी गंगा जमुनी तहजीब के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि यहां सभी धर्मों के लोक मन्नतें मांगने और बाबा को मत्था टेकने आते हैं. 

क्या है पूरा मामला


यहां स्थित मजार को लेकर मान्यताएं हैं कि जब सन् 1882 में सिकन्दरपुर थाने का निर्माण कराया जा रहा था. तब थाने के एक कोने की दीवार रात को गिर जाती थी. थक हारकर लोग जब एक फकीर की शरण में गए. इस फकीर ने लोगों को एक राह दिखाई. फकीर ने कहा कि यहां शहीद बाबा को स्थान दिया जाए और उनकी मजार बनाई जाए. 

इसके बाद थाने के एक कोने में शहीदी बाबा की मजार फिर थाने का निर्माण कराया गया. इसके बाद से ही बाबा यहां थाने के कोतवाल के रूप में शहर और थाने की रखवाली करते हैं. हर वर्ष 17 मई को यहां पर शहीद बाबा का उर्स भी होता है. इस दौरान बड़ा मेला लगता है और भारी संख्या में श्रृद्धालु यहां आते हैं.