लांजिगढ़ स्थित वेदांता एल्यूमिनियम की रिफाइनरी ने जीते कलिंगा एन्वायर्नमेंट एक्सीलेंस अवॉर्ड और कलिंगा एनर्जी एक्सीलेंस अवॉर्ड
2 जुलाई, 2024: भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक वेदांता एल्यूमिनियम ने लांजिगढ़ (जिला: कालाहांडी) स्थित अपनी एल्यूमिना रिफाइनरी यूनिट के लिए प्रतिष्ठित कलिंगा एन्वायर्नमेंट एक्सीलेंस अवॉर्ड और कलिंगा एनर्जी एक्सीलेंस अवॉर्ड जीते हैं। ये पुरस्कार इंस्टीट्यूट ऑफ क्वालिटी एंड एन्वायर्नमेंट मैनेजमेंट (आईक्यूईएमएस) द्वारा ओडिशा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तथा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज़, हैदराबाद के सहयोग प्रदान किए गए।
वेदांता की लांजिगढ़ यूनिट भारत की प्रमुख स्मेल्टर-ग्रेड एल्यूमिना उत्पादक है। यहाँ पर अनेक पहलें की गई हैं, जो वेदांता एल्यूमिनियम के सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों का हिस्सा हैं, जैसे- 2050 तक नेट ज़ीरो कार्बन, 2030 तक नेट वॉटर पॉज़िटिविटी, प्रभावी कचरा प्रबंधन, जैव विविधता बहाली और सभी प्रचालनों में ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकी अपनाना। सस्टेनेबिलिटी के लिए कंपनी ने जो पहलें की हैं, उन्हें विश्व के प्रतिष्ठित मंचों पर सराहा गया है, जिनमें से एक है मूल्यांकन अवधि 2023 के लिए एस एंड पी कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असैसमेंट (सीएसए) रैंकिंग में वेदांता एल्यूमिनियम का पहला स्थान।
इस उपलब्धि पर वेदांता एल्यूमिनियम के सीईओ जॉन स्लेवन ने कहा, “हम सस्टेनेबल प्रचालन हेतु प्रतिबद्ध हैं और हमारी यही प्रतिबद्धता ऊर्जा दक्षता एवं पर्यावरणीय संरक्षण में हमारी सफलता की वजह बनी है, जो कि हमें प्राप्त हुए अनेक सम्मानों में परिलक्षित होती है। हमारी जो निर्णय प्रक्रिया है, उसमें हम सस्टेनेबल मूल्य श्रृंखला को शीर्ष प्राथमिकता देते हैं और इसके साथ हम अपनी बढ़ी हुई प्रचालन दक्षता को संतुलित करते हैं। हमारी ये उपलब्धियाँ उत्कृष्टता के लिए हमारी उन अथक कोशिशों को रेखांकित करती हैं, जो हम सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल के माध्यम से कर रहे हैं, और जो वेदांता एल्यूमिनियम की इस परिवर्तनकारी यात्रा को बल प्रदान करती हैं।”
देश की बढ़ती माँगों को पूरा करने के साथ-साथ वेदांता को धरती की जरूरतों का भी पूरा ख्याल है। कंपनी विविध पहलों के जरिए इस उद्योग के सस्टेनेबल रूपांतरण में योगदान दे रही है, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के उपयोग में वृद्धि (उदाहरण के लिए, बॉयलर कोफायरिंग में बायोमास का इस्तेमाल), लिथियम-आयन इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट की तैनाती और इलेक्ट्रिक वाहन उपयोग करने पर कर्मचारियों को इन्सेंटिव। इन कोशिशों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है, वित्तीय वर्ष 2021 को आधार वर्ष मानकर वित्त वर्ष 24 में लगभग 9.3 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि इस दौरान उत्पादन लगभग 20 प्रतिशत बढ़ा है।
पानी का पुनः उपयोग करके और वाटर-पॉज़िटिव फुटप्रिंट को पोषित करके कंपनी ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर प्रयास किए हैं और निरंतर जल स्तर की निगरानी की है। इस प्रकार वेदांता एल्यूमिनियम ने वि.व.24 के दौरान अपने सभी प्रचालनों में 15 अरब लीटर से अधिक पानी रिसाइकल किया है। इसके अलावा कंपनी ने अपने प्रचालनों के करीब संवेदनशील पर्यावासों एवं जैव विविधता की प्रणालीगत समीक्षा एवं पहचान की है। हाल ही में कंपनी ने अपने प्रचालनों के आसपास जैव विविधता के संरक्षण एवं क्लाईमेट रेसिलियेंस के लिए प्रकृति-आधारित समाधानों के अमल हेतु एक करार पर दस्तखत किए हैं।
वेदांता एल्यूमिनियम यह भी सुनिश्चित करता है कि बॉक्साइट अवशेष (एल्यूमिना रिफाइनिंग प्रक्रिया का बाय-प्रोडक्ट) और फ्लाई-ऐश (बिजली उत्पाद प्रक्रिया का बाय-प्रोडक्ट) का लाभदायक उपयोग हो सके। बॉक्साइट अवशेष को प्रचालन इलाकों में सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है, फ्लाई ऐश के साथ मिलाकर इसका उपयोग विक ड्रेन डैवलपमेंट में मिट्टी के मजबूत करने में किया जाता है और सीमेंट उद्योग को बतौर कच्चा माल इसे सप्लाई किया जाता है। परिणामस्वरूप, अब तक 1,00,000 मीट्रिक टन से अधिक रैड मड का इस्तेमाल किया जा चुका है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सड़क निर्माण तथा स्थानीय समुदायों द्वारा संचालित ईंट निर्माण हेतु फ्लाई ऐश की आपूर्ति करके उसका लाभदायक उपयोग किया जाता है और इस तरह ग्रामवासियों की आमदनी में इजाफा होता है। इन पहलों से वित्त वर्ष 23 में कचरे का उपयोग 200 प्रतिशत बढ़ा है।
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