गरिमा अग्रवाल
कोरबा,12 जून । प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य बाल श्रम की भयावहता के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) के 187 सदस्य देश हैं।
लाखों बच्चों को आज भी शिक्षा और सुरक्षित बचपन के अधिकार से वंचित रखा जाता है।बाल मजदूरी तथा शोषण की निरंतर मौजूदगी से देश की अर्थव्यवस्था को खतरा होता है और इसके बच्चों पर गंभीर अल्पकालीन और दीर्घकालीन दुष्परिणाम होते हैं जैसे शिक्षा से वंचित हो जाना और उनका शारीरिक व मानसिक विकास ना होने देना।
बाल श्रमिक के कारण –
बाल तस्करी भी बाल मजदूरी से ही जुड़ी है जिसमें हमेशा ही बच्चों का शोषण होता है। बाल श्रम अक्सर गरीबी और सामाजिक असमानता से उत्पन्न होता है। 100 लाख मे (3.9 %) बच्चे, बाल श्रमिक का कार्य करते है। बच्चो के लिए स्कूल एवं आर्थिक सहायता न होने के कारण बाल श्रमिक एक उपाय बन जाता है।
बाल संरक्षण हेतु प्रावधान –
1098 एक टोल-फ्री नंबर है और यह पूरे भारत में संचालित होता है। यह चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा संचालित होता है, जो बाल अधिकारों और बाल संरक्षण के लिए काम करता है। कोई भी, यहां तक खुद बच्चे भी कॉल कर सकते हैं और इस नंबर पर जानकारी दे सकते हैं।
बाल श्रमिक रखने पर लगेगा इतना जुर्माना
कोई भी व्यक्ति जो 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे या 14 से 18 वर्ष के बीच के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में नियोजित करता है, उसे छह महीने से दो साल के बीच जेल की सजा और/या 20000 से 50000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
बाल श्रमिक ख़त्म करने में आपका योगदान –
शिक्षा के अवसर प्रदान कर, बाल श्रम को रोकने के लिए सख्त कानून बनाकर और इन बच्चों के पुनर्वास का कार्य करके हम एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। बच्चों को उचित शिक्षा और सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का प्रयास करेंगे। तभी हम एक ऐसा समाज बना पाएंगे, जहाँ हर बच्चा अपने सपनों को पूरा करने का अवसर पा सके।
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