मध्‍य प्रदेश की अंतर्राष्ट्रीय बैगा चित्रकार जोधइया बाई को मिला पद्मश्री अलंकरण, ऐसे मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान

उमरिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैगा चित्रकारी की आइकॉन बन चुकी जोधइया बाई बैगा को महामहीम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने बुधवार को पदमश्री सम्मान से सम्मानित किया। सम्मान लेने के लिए दो दिन पहले जोधइया बाई बैगा जनगण तस्वीरखाना के संचालक निमिष स्वामी के साथ दिल्ली रवाना हो गई थीं।

जोधइया बाई बैगा को पद्मश्री देने की घोषणा इसी साल 25 जनवरी को दिल्ली में की गई थी। उनकी चित्रकारी को उनके गुरू स्व आशीष स्वामी ने तराशनें का काम किया था और उन्हें पदमश्री मिल सके इसके लिए भी काफी प्रयास किया था और उन्हीं के प्रयास से जोधइया बाई दो साल पहले पदमश्री के लिए नामिनेटेड हुईं थी। इस बार उनका नाम दूसरी बार पद्मश्री के लिए नॉमिनेटेड किया गया था। उनके साथ मध्‍य प्रदेश के झाबुआ के रमेश और शांति परमार को कला के क्षेत्र में और जबलपुर के डाक्‍टर मुनीश्‍वर डावर को चिकित्‍सा के क्षेत्र में पद्मश्री सम्‍मान के लिए चुना गया है।

इस बार जोधइया बाई का नाम जनजातीय संग्रहालय मध्य प्रदेश भोपाल से भेजा गया था जबकि पिछली बार जिला प्रशासन ने जोधइया बाई बैगा का नाम पद्मश्री के लिए भेजा था। हालांकि बाद में पिछले साल उन्हें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति सम्मान दिया गया था। 85 वर्ष की उम्र पार कर चुकी बैगा चित्रकार जोधाइया बाई बैगा के कई चित्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुके हैं। जिससे उनका नाम ट्राईबल आर्ट की दुनिया में छा चुका है।

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ऐसे छाईं जोधइया

शांति निकेतन विश्वभारती विश्वविद्यालय, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, आदिरंग कार्यक्रम में शामिल हुईं और सम्मानित हुईं। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल में जोधइया बाई के नाम से एक स्थाई दीवार बनी हुई है जिस पर इनके बनाए हुए चित्र हैं। मानस संग्रहालय में भी हो चुकी हैं शामिल। प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान न सिर्फ जोधइया बाई को सम्मानित कर चुके हैं बल्कि वे उनसे मिलने के लिए लोढ़ा के उनके कर्मस्थल तक भी पहुंच गए थे।

अंतर्राष्ट्रीय पहचान

उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में प्रदर्शित की जाती है। वर्ष 2014 आदिवासी संग्राहलय भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2015 में भारत भवन भोपाल मे आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2020 में एलियांस फांस में पेटिंग्स का प्रदर्शन, वर्ष 2017 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्राहलय भोपाल द्वारा केरल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता , वर्ष 2018 में शांति निकेतन पश्चिम बंगाल मेे पेटिंग्स का प्रदर्शन, वर्ष 2020 में आईएमए फाउण्डेशन लंदन द्वारा बिहार संग्राहलय पटना में सहभागिता एवं सम्मान तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में उमरिया मे आयोजित विंन्ध्य मैकल उत्सव उमरिया में सम्मानित किया गया। इसी तरह इनका राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय परंपरागत आर्ट गैलरी के आयोजन में मिलान इटली में फ्रांस में पेरिस शहर मे आयोजित आर्ट गैलरी में तथा इंग्लैण्ड, अमेरिका एवं जापान आदि देशों में इनके द्वारा बनाई गई बैगा जन जाति की परंपरागत पेटिंग्स की प्रदर्शनी लग चुकी है।

प्राचीन परंपरा के चित्र

जोधईया बाई द्वारा तैयार की गई पेंटंग्स के विषय पुरानी भारतीय पंरपरा में देवलोक की परिकल्पना, भगवान शिव तथा बाघ पर आधारित पेटिंग जिसमें पर्यावरण एवं वन्य जीव के महत्व को प्रदर्शित किया जाता है। इसके साथ ही बैगा जन जाति की संस्कृति पर अधारित पेंटिंग्स विदेशियों द्वारा खूब सराही जाती है। जोधइया बाई नई पीढी के लिए रोल माडल बन चुकी है। इस आयु में भी वे पूरी सक्रियता के साथ सहभागिता निभाती है।

क्या है बैगा चित्रकारी

बैगा चित्रकारी बैगा आदिवासियों की कल्पना का वह पूरा संसार है जिसे वह अपने नजरिए से देखता और रचता है। बैगाओं की इसी कल्पना को उनकी शैली कहा गया है। स्व आशीष स्वामी के अनुसार बैगा वृक्षों में और बाघों में भगवान शंकर को देखते है इसलिए वे अपने चित्रों में भगवान शंकर को बघासुर और वृक्षों के रूप में चिित्रत करते हैं। बैगा अपने घरों की सज्जा भी इसी कल्पना के अनुसार करते हैं और भित्ती पर बनाए जाने वाले चित्र ही बैगा चित्रकारी कहलाती है। जंगल में रहने वाले इन आदिवासियों के चित्रों में मुख्य रूप से जंगल, जंगल के जानवर और पर्यावरण का चिंतन दिखाई पड़ता है। बैगाओं ने चीजों को किस तरह से देखा, महसूस किया और फिर उसे मिट्टी के रंगों से उकेरा यही बैगा चित्रकारी है।

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