Happy Mahashivratri 2024: अलग-अलग रंगों में दिखते हैं बाबा बूढ़ेश्वर महादेव

रायपुरः भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय पर्व महाशिवरात्रि पर लोगों में भक्ति और उल्लास छाया रहता है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वैसे तो चारों दिशाओं में भगवान भोलेनाथ के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें से एक बूढ़ातालाब के सामने स्थित बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर है. जहां पर दर्शन करने की विशेष महत्ता है.

इस मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन माह में दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. महाशिवरात्रि पर सुबह शिवलिंग पर भस्म आरती की जाती है. बनारस, उज्जैन और रामेश्वर जैसे ज्योतर्लिंग से भस्म मंगवाकर उसी भस्म का लेपन किया जाता है. सुबह से दोपहर तक जलाभिषेक और शाम को भांग, धतूरा, चांदी, मालीपाणा के बर्क से श्रृंगार किया जाता है. आप भी भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर में दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं.

इतिहास 100 वर्ष पुराना
बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी महेश पांडेय ने बताया कि बूढ़ेश्वर महादेव का इतिहास 100 वर्ष पुराना है. यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना फलित होती है. इसलिए आये दिन निरंतर भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. भगवान बूढ़ेश्वर का यह मंदिर राजधानी रायपुर के बीचों बीच बूढ़ापारा में बूढ़ातालाब के पास स्थित है. प्राचीन काल में राजा ब्रम्हदेव ने आदिवासी समाज के लोगों को एकत्र करने के लिए बूढ़ादेव की स्थापना की थी. जो आर्थिक स्थिति से नहीं संभल पाए तो उन्होंने सर्व समाज को सौंप दिया.

भोलेनाथ के कई रूप
पुजारी ने बताया कि जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है और आज एक भव्य मंदिर के रूप में बूढ़ेश्वर महादेव का मंदिर जाना जाता है. यहां स्थित भगवान भोलेनाथ बूढ़ेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं. इसकी सबसे खास बात यह है कि मूर्ति स्वयंभू है. मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ यहां कई रूप में दर्शन देते हैं. ध्यानमगन होकर देखने से कभी लाल, कभी गुलाबी जैसे कई प्रकार के रूप में दर्शन देंगे.