जगदलपुर,25 फरवरी । बस्तर में विगत कई दशकों का इतिहास मार्च से जून तक की अवधि में रक्तरंजित दिखाई पड़ता है। पतझड़ में जंगल के भीतर दृश्यता बढ़ जाती है, जिसका लाभ उठाकर नक्सली टैक्टीकल काउंटर आफेंसिव कैंपन (सामरिक जवाबी आक्रामक अभियान) की शुरुआत करते हैं। इस अवधि में पिछले कुछ वर्ष में नक्सलियों ने सुरक्षा बल को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इस बार नक्सलियों के सबसे शक्तिशाली आधार क्षेत्र में प्रहार करते हुए सुरक्षा बल ने नवीन सुरक्षा कैंप की स्थापना की है, जिससे परिस्थिति में बड़ा बदलाव आया है। पिछले चार वर्ष में 80 तो ढाई माह में 14 सुरक्षा कैंप की स्थापना से सुरक्षा बल ताकतवर और नक्सली कमजोर पड़े हैं। ऐसे में अगले चार माह जब नक्सली पलटवार करने के प्रयास में होंगे, तो सुरक्षा बल लड़ाई को निर्णायक दिशा देने की तैयारी में होगा।
एक तरफ सुरक्षा दूसरी तरफ विकास
इधर, राज्य सरकार ने ‘नियद नेल्ला नार’ योजना भी शुरू की गई है। योजना के अंतर्गत नक्सलियों के आधार वाले क्षेत्र के 58 गांव का विकास किया जाना है। इसके साथ ही अबूझमाड़ में 40 से अधिक सुरक्षा कैंप के लिए तीन हजार अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की तैयारी भी की जा रही है।
गढ़ की घेराबंदी संग जन विकास
देश में नक्सलियों का सबसे ताकतवर संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी को माना जाता है। सुरक्षा बल ने यहां संचालित दक्षिण बस्तर डिवीजन व लड़ाकू बटालियन नंबर एक के बेस कैंप पूवर्ती में एक सप्ताह पहले ही सुरक्षा कैंप स्थापित कर लिया है। कुख्यात नक्सली हिड़मा के गांव में कैंप स्थापना के बाद स्वास्थ्य शिविर भी लगाया जा चुका है। यहां टेकुलगुड़ेम, दुलेड़, सालातोंग, पड़िया, मूलेर, मुरकाराजकोंडा में सुरक्षा कैंपों की शृंखला खड़ी कर दी गई है। दक्षिण-पश्चिम बस्तर डिविजन के गंगालूर एरिया कमेटी व लड़ाकू बटालियन नंबर दो के गढ़ को भी पालनार, डुमरीपालनार, कावड़गांव, मुतवेंडी में कैंप स्थापित पिछले कुछ दिनों में स्थापित किए गए हैं, जहां से नक्सलियों के आधार पर प्रहार की तैयारी है।
आइजीपी ने कही ये बात
नवीन सुरक्षा कैंप को विकास कैंप के रूप में स्थापित कर वहां से क्षेत्र की सुरक्षा व विकास कार्य साथ-साथ किए जाएंगे। नक्सली टीसीओसी में बड़े हमले करते हैं, पर इस बार सुरक्षा बल ताकतवर स्थिति में है। नक्सलियों के सबसे ताकतवर गढ़ में पिछले ढाई माह में स्थापित कैंप से अभियान चलाकर क्षेत्र को सुरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। ग्रामीणों तक जनसुविधाएं भी पहुंचाएंगे।
–सुंदरराज पी., आइजीपी बस्तर रेंज
टीसीओसी में बड़े नक्सली हमले
20 अप्रैल 2013- दंतेवाड़ा के अरनपुर में डीआरजी के 11 जवान बलिदान।
3 अप्रैल 2021- टेकुलगुड़ेम मुठभेड़ में 22 जवान बलिदान।
23 मार्च 2021-नारायणपुर के कोहकामेटा में आइईडी विस्फोट में पांच जवान बलिदान।
25 अप्रैल 2017- सुकमा के बुरकापाल में सुरक्षा कैंप में हमले में सीआरपीएफ के 32 जवान बलिदान।
6 मई 2017- सुकमा के कसालपाड़ हमले में 14 जवान बलिदान।
11 मार्च 2017-भेज्जी हमले में सीआरपीएफ के 11 जवान बलिदान।
6 अप्रैल 2010-ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान बलिदान।
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