14 साल तक किया दुष्कर्म, बेटी हुई तो DNA कराने से आरोपित डाक्टर ने किया इन्कार

बिलासपुर,23 फरवरी । एक डाक्टर ने पीड़िता से 14 साल तक लगातार दुष्कर्म किया। पीड़िता गर्भवती हो गई। एक बेटी को जन्म दिया। जब उसने बेटी को नाम देने कहा डाक्टर मुकर गया। पीड़िता ने डीएनए कराने की गुहार लगाई। पुलिस ने प्रयास भी किया। आरोपित चिकित्सक ने डीएनए कराने से इन्कार कर दिया। पीड़िता मां ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने संवेदनशीलता दिखाते हुए याचिकाकर्ता, उसकी बेटी व आरोपित चिकित्सक का डीएनए टेस्ट कराने के निर्देश पुलिस को दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि डीएनए टेस्ट से ही सच्चाई सामने आएगी।

युवती से 14 साल तक दुष्कर्म करने वाले डाक्टर का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दिया है। युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया था जिसका पिता उसने डाक्टर को बताया था। मामले में युवती की शिकायत पर डाक्टर को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन उसने अपना डीएनए देने से मना कर दिया था। जिसके बाद युवती ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। युवती के वकील अमित बक्शी ने बताया कि बस्तर के सुकमा क्षेत्र में पदस्थ डाक्टर के पास एक महिला इलाज के लिए जाती थी। उसके साथ 13 साल की उसकी बेटी भी जाती थी। साल 2005 में डाक्टर ने उसके साथ पहले छेड़छाड़ की फिर मारपीट की और धमकी देते हुए रेप किया। साल 2010 में युवती की मध्य प्रदेश में शादी हो गई। इसके बाद भी डरा-धमका कर युवती से मायके आने पर कई बार दुष्कर्म किया गया। ये सब के बीच साल 2011 में युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया। इसे युवती ने डाक्टर का बताया है। जिसके बाद साल 2019 में मायके आने पर डाक्टर ने फिर अपने क्लीनिक में उससे रेप और मारपीट की।

धमकियों और दुष्कर्म से परेशान है पीड़िता

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में अपनी पीड़ा बताती हुई कहा है कि बार-बार की धमकी, मारपीट और दुष्कर्म से तंग आकर उसने हिम्मत जुटा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने पाक्सो एक्ट, दुष्कर्म और अन्य धाराओं में डाक्टर के खिलाफ अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी का ब्लड सैंपल तथा डीएनए टेस्ट कराने कहा लेकिन इससे उसने इन्कार कर दिया। इस पर पीडि़ता ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर दुष्कर्म करने वाले डाक्टर का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में जस्टिस एन के व्यास की बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि सच का पता लगाने के लिए चिकित्सक का डीएनए टेस्ट जरूरी है। विवेचना अधिकारी को उन्होंने पीडि़ता, उसकी बेटी और चिकित्सक का डीएनए कराने की अनुमति दी है।