कोरबा, 15 फरवरी । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में मातृ-पितृ दिवस के उपलक्ष्य में आगंतुक अभिभावकों का विद्यार्थियों ने श्रध्दापूव्रक पूजन एवं आरती कर सम्मान प्रकट किया । कार्यक्रम के प्रारंभ में एक विशेष संस्था सेेे उपस्थित बहनों एवं भाई जी द्वारा विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता के साथ संयुक्त रूप से भगवान शिव-पार्वती एवं बुध्दि के देवता गणेश के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत की गई । तत्पश्चात विद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका एवं एकेडमिक को ऑर्डिनेटर(प्री एंड प्राइमरी) अध्यापिका श्रीमती सोम सरकार ने जीवन में माता-पिता के उपकार एवं हमारा माता-पिता के प्रति कर्तव्य पर प्रकाश डाला ।
संस्था से विशेष रूप से पधारी दीदी जी ने भी मान की विभिन्न निश्छल स्नेह, त्याग, समर्पण और सम्मान को व्यक्त किया । दीदी जी ने बताया कि दुनिया में स्नेह व सम्मान की अभिलाषा प्रत्येक को है । इस दुनिया में हर कोई प्रेम का भूखा है । जिस प्रकार एक भवन में ईट व बालू को सीमेंट जोड़ कर रखता है ठीक उसी प्रकार परिवार में भी सबको स्नेह, सम्मान व प्यार ही जोड़कर रखता है । हमें प्रत्येक के प्रति शुभ भावना रखनी चाहिए । क्योंकि हम अपनी सकारात्मक ऊर्जा या सकारात्मक विचारों से ही किसी के व्यवहार में उचित व नैतिक परिवर्तन ला सकते हैं । कार्यक्रम की अगली कड़ी में संस्था के भाई जी ने सभी उपस्थित विद्यार्थियों को अपने-अपने अभिभावकों की पूजा व आरती करने हेतु निर्देशित किया ।
तत्पश्चात सभी विद्यार्थियों ने श्रध्दापूर्वक अपने-अपने माता-पिता को पुष्प अर्पित कर तिलक लगाया और आरती कर आशीर्वाद लिया । पार्श्व में सुमधुर आरती संगीत ने वातावरण को अति रोमांचकारी व ऊर्जावान बना दिया था । विद्यार्थियों ने शिक्षक-शिक्षिकाओं का भी पूजन कर तिलक लगाया व आशीर्वाद लिया तथा प्रसाद स्वरूप मिठाई वितरण किया । यहाँ यह बताना आवश्यक है कि संपूर्ण विद्यालय परिवार की ओर से विद्यालय प्रमुख प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता को सर्वप्रथम पुष्प अर्पित कर व तिलक लगाकर मातृ-पितृ पूजन आरंभ किया गया । कार्यक्रम में अधिकांश अभिभावकों ने शिरकत की और कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया ।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि माँ अगर ममता और प्यार का सागर है तो पिता समर्पण और त्याग की एक मूरत है । ये बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं शायद इसीलिए इनको भगवान का दर्जा दिया गया है और सच भी है अपनी हर मुमकिन कोशिश करके माँ-बाप अपने बच्चों को सारी सुख-सुविधाएँ देते हैं उनको पढ़ाते लिखाते हैं उनकी हर छोटी से छोटी बड़ी से बड़ी ख्वाहिशों को पूरा करते हैं भले वो उनको पूरा करने की स्थिति में हों या ना हो अपनी ख्वाहिशों को दबाकर वो अपने बच्चों को हर तरह की खुशियाँ देते हैं और इसके पीछे कोई स्वार्थ नहीं होता अब ये तो कोई भगवान ही कर सकता है ।
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