मुंबई : रुपए में मंगलवार को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. डाटा को देखें तो रुपया एक बार फिर से 87 के लेवल को पार कर गया है. जानकारों का कहना है कि डॉलर की डिमांड होने के कारण रुपए में गिरावट देखने को मिल रही है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रुपया किस लेवल पर बंद हुआ.
दो हफ्ता पहले यानी 10 फरवरी को रुपए में डॉलर के मुकाबले कारोबारी सत्र के दौरान 45 पैसे की बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. उसके बाद से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपए में इतनी बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिली. लेकिन मंगलवार को रुपए पर जैसे कोई कहर ही टूटा पड़ा. करेंसी मार्केट बंद होने के बाद डॉलर के मुकाबले में रुपए में 50 पैसे से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. जोकि दो हफ्तों की सबसे बड़ी गिरावट है. जानकारों की मानें तो डॉलर की जबरदस्त डिमांड की वजह से रुपए गिरावट देखने को मिली है. आने वाले दिनों में रुपए में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है. सोमवार को भी रुपए में डॉलर के मुकाबले में 4 पैसे की गिरावट देखने को मिली थी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर डॉलर के मुकाबले में रुपए किस लेवल पर आ गया है.
ये भी पढ़ें : क्या होते हैं पैरासिटिक ट्विन, एम्स में ऐसे हुई चार पैरों वाले लड़के की सर्जरी
रुपए में बड़ी गिरावट
अमेरिकी व्यापार शुल्कों पर अनिश्चितता के बीच आयातकों द्वारा महीने के अंत में डॉलर की मांग के कारण मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 51 पैसे की भारी गिरावट के साथ 87.23 (अनंतिम) पर बंद हुआ. विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि प्रमुख क्रॉस के मुकाबले ऊंचे ग्रीनबैक और निरंतर एफआईआई आउटफ्लो ने भी घरेलू इकाई में गिरावट में योगदान दिया. इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में, रुपया 86.83 पर कमजोर खुला और पूरे दिन गिरावट के साथ 87.23 (अनंतिम) पर बंद हुआ, जो कि पिछले बंद से 51 पैसे कम है. स्थानीय यूनिट यानी रुपया सोमवार को 86.72 पर बंद हुआ था. अमेरिकी व्यापार शुल्कों पर अनिश्चितता और महीने के अंत में आयातकों की मांग के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से गिर गया. वायदा अनुबंध की समाप्ति के कारण शॉर्ट पोजीशन कवर करने से भी रुपए पर असर पड़ा.
क्यों आई रुपए में गिरावट
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि घरेलू बाजारों में ओवरऑल कमजोरी और लगातार एफआईआई आउटफ्लो के कारण रुपया नकारात्मक कारोबार करेगा. अमेरिकी डॉलर में किसी भी सुधार से रुपए पर भी असर पड़ सकता है. हालांकि, आरबीआई के किसी भी हस्तक्षेप और कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी से रुपए को निचले स्तर पर समर्थन मिल सकता है. फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के यह कहने के बाद कि मेक्सिको और कनाडा पर टैरिफ योजना के अनुसार आगे बढ़ेंगे, सुरक्षित निवेश इनफ्लो के कारण डॉलर 2 महीने में सबसे निचले स्तर पर गिरने के बाद कुछ नुकसान में वापस आ गया. चौधरी ने कहा, USD/INR की हाजिर कीमत 86.85 रुपये से 87.40 रुपए के बीच रहने की उम्मीद है.
डॉलर इंडेक्स में मामूली इजाफा
इस बीच, घरेलू इक्विटी बाजारों में, सेंसेक्स 147.71 अंक चढ़कर 74,602.12 पर बंद हुआ और पांच सत्रों की गिरावट का सिलसिला थम गया. हालाँकि, निफ्टी में गिरावट का सिलसिला जारी रहा और यह 5.80 अंक गिरकर 22,547.55 पर आ गया. डॉलर सूचकांक, जो छह मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 0.04 फीसदी 106.64 पर पहुंच गया.. वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.12 प्रतिशत गिरकर 74.69 प्रति बैरल पर आ गया. एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को शुद्ध आधार पर 6,286.70 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची.