अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो वो सबकुछ हासिल कर सकता है। कड़ी मेहनत से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गुजरात की सात महिलाओं ने, जिन्होंने अपने दम पर करोड़ों रुपयों का बिजनेस खड़ा कर दिया है। जब 90 के दशक में लोगों के घरों में ब्लैक एंड व्हाइट टेलिविजन ही हुआ करते थे। उस समय तमाम चर्चिच विज्ञापनों के बीच एक विज्ञापन ऐसा भी था जो सबकी जुबान पर चढ़ गया था वो विज्ञापन लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) का था। लिज्जत पापड़ का स्वाद लोगों के घरों तक ऐसा पहुंचा की आज तक लोगों की जुबान पर वो छाया हुआ है। देखते देखते ये बेजान सा पापड़ एक ब्रांड बन गया। गुजराती में लिज्जत का मतलब होता है स्वाद। लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) की कहानी काफी दिलचस्प है। आईए आपको बताते हैं कैसे सात महिलाओं ने मिलकर लिज्जत पापड़ को इतना बड़ा ब्रांड बना दिया।
ऐसे हुई थी शुरुआत
मुंबई की रहने वाली जसवंती जमनादास ने पहली बार साल 1959 में ने अपनी 6 सहेलियों के साथ मिलकर लिज्जत पापड़ की शुरुआत की थी। यह वह दौर था जब महिलाओं बिजनेस या नौकरी के लिए ज्यादा आजादी नहीं मिलती थी, लेकिन जसवंती जमनादास ने हिम्मत जुटाकर लिज्जत पापड़ की नींव रखी थी। इस कारोबार को शुरू का मकसद पैसा कमाना नहीं था, बल्कि ये सातों महिलाएं इसके जरिए अपने परिवार के खर्च में अपना योगदान देना चाहती थी। जसवंती जमनादास पोपट ने पार्वतीबेन रामदास ठोदानी, उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, बानुबेन तन्ना, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, जयाबेन विठलानी के साथ मिलकर तय किया कि वे पापड़ बनाने का काम शुरू करेंगी, उनके साथ एक और महिला थी, जिसे पापड़ों को बेचने का जिम्मा सौंपा गया था।
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