भोपाल,15 जनवरी I सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर), ने उन्नत भारत अभियान (यूबीए), विज्ञान भारती (विभा), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), और जवाहरलाल नेहरू राजकीय महाविद्यालय (जेएनआरएम) के सहयोग से जवाहरलाल नेहरू राजकीय महाविद्यालय (जेएनआरएम), पोर्ट ब्लेयर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 11-12 जनवरी 2024 को “अंडमान क्षेत्र में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्माण” विषय पर संयुक्त रूप से दो दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य किसानों और महिला स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) और इच्छुक उद्यमियों को सीएसआईआर की प्रौद्योगिकियों जैसे – सीएसआईआर- हिमालयी जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी से पेंडेनस फलों का उपयोग करके मूल्य वर्धित उत्पाद बनाना; खाद्य उत्पादों को स्वच्छ रूप से सुखाने के लिए सीएसआईआर-केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई) द्वारा विकसित विकेंद्रीकृत सोलर थर्मल ड्रायर, सीएसआईआर-एनआईआईएसटी तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित डीह्यूमिडिफाइड ड्रायर प्रौद्योगिकी तथा सुपारी में फंगस की समस्याओं का प्रबंधन करने वाली सीएसआईआर-हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकी के बारे में प्रशिक्षण और अनुभव प्रदान करना है। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को सीएसआईआर अरोमा और फ्लोरीकल्चर मिशन तथा डीएसआईआर की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई।
उन्हें नाबार्ड जैसे सरकारी संगठनों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए प्रभावी परियोजना प्रस्ताव लिखने के तरीके के बारे में भी बताया गया। उन्नत भारत अभियान के तहत आईआईटी दिल्ली द्वारा समन्वित की जा रही विभिन्न पहलों के बारे में भी प्रस्तुतियां दी गईं। समापन सत्र में नाबार्ड की महाप्रबंधक डॉ. अर्चना सिंह ने नाबार्ड की उपलब्धियों तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण विकास के लिए इसकी पहलों के बारे में जानकारी दी।
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