नए लुक में नजर आने लगे सरकारी अस्पताल के जनरल वार्ड, प्राइवेट जैसी रहेगी व्यवस्था

जिला अस्पताल में आईपीडी के जनरल वार्ड में कभी घुसने से पहले कई बार सोचना पड़ता था। यहां पर टॉयलेट के साथ ही अन्य कई जगहों में गंदगी पसरी रहती थी। इसका साथ ही बदबू उठता रहता था। लेकिन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध होने के बाद अस्पताल में चिकित्सा सुविधा के साथ अन्य मूलभूत सुविधाओं में भी सुधार होने लगा। इससे अब वही जनरल वार्ड अलग लुक में नजर आने लगे हैं। दीवारों के साथ ही बेड व मेडिसिन बॉक्स का रंग-रोगन हो चुका है।

आर्कषक लाइटिंग से वार्ड चकाचक दिख रहे हैं। वार्ड के सभी टॉयलेट में पीवीसी सीट से अलग-अलग कक्ष बनाए गए हैं। यहां इंडियन व वेस्टर्न कमोड लगाए गए हैं। नहाने के लिए भी एक कक्ष बनाया गया है। साथ ही डिजाइनिंग वाले वॉश बेसिन लगाए गए हैं। इस तरह रिनोवेशन से हुए बदलाव के बाद जनरल वार्ड ऐसे नजर आ रहे हैं कि जैसे प्राइवेट अस्पताल हों।

करीब 2 साल पहले कोरबा में मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद जिला अस्पताल को अस्थाई रूप से मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के रूप में चलाने संबद्ध किया गया। संचालन की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के जिम्मे होते ही सुधार के लिए जरूरी कवायद शुरू हुए। प्रबंधन ने प्रशासन को अस्पताल के रिनोवेशन की जरूरत बताई। तब डीएमएफ फंड से करीब 3 करोड़ की लागत से अस्पताल के मुख्य द्वार समेत आंतरिक हिस्से में रिनोवेशन कार्य को मंजूरी मिली। क्रियान्वयन एजेंसी नगर निगम द्वारा एक साल पहले रिनोवेशन का कार्य शुरू कराया गया। अब रिनोवेशन का 50 फीसदी हो चुका है। जिससे हिस्से में काम पूरा हो चुका है या अंतिम चरण में है वहां का लूक प्राइवेट अस्पताल की तरह नजर आने लगा है।

अस्पताल में कराए जा रहे रिनोवेशन के ये कार्य मेडिकल कॉलेज संबद्ध अस्पताल के रिनोवेशन कार्य के तहत अस्पताल के फ्रंट एलिवेशन, मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण, एसीपी वर्क, लैंड स्केपिंग, रैंप कवरिंग, फ्लोरिंग टाइल्स कार्य, खिड़की-दरवाजों का नवीनीकरण, महिला और पुरुष टॉयलेट का उन्नयन, फायर फाईटिंग, सीसीटीवी कैमरा लगाने का कार्य, पुरुष और महिला वार्डों में एयर कंडीशनर, एलईडी पैनल व लाईटिंग, पेंटिंग संबंधी कार्य, हाईमास्ट लाइट लगाने का कार्य समेत अन्य कार्य शामिल हैं।

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