Solar Storm: नासा की एक वॉर्निंग के मुताबिक, 30 नवंबर यानी आज की रात धरती को एक सोलर स्टॉर्म हिट कर सकता है। लेकिन, सोलर स्टॉर्म होता क्या है और धरती पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। क्या यह इंसानों की सेहत के लिए हानिकारक होता है। अगर ऐसे कई सवाल आपके मन में भी घूम रहे हैं, तो चिंता मत करीए। इन सभी सवालों के जवाब हम आपको दे सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है सोलर स्टॉर्म और इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं।
क्या है सोलर स्टॉर्म?
सोलर स्टॉर्म सूरज से निकलने वाली तेज इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन होती है, जो सूरज के एटमोस्फेयर में से निकलती हैं। यह कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से भी होता है। नेशनल ओशिनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का बड़ा निष्कासन है। सीएमई सूर्य से बाहर की ओर 250 किलोमीटर प्रति सेकंड (किमी/सेकंड) से धीमी गति से लेकर 3000 किमी/सेकेंड तक की तेज़ गति से यात्रा करते हैं।
सबसे तेज़ पृथ्वी की ओर आने वाला सीएमई हमारे ग्रह तक 15-18 घंटों में पहुंच सकते हैं। धीमी सीएमई को आने में कई दिन लग सकते हैं। जैसे-जैसे वे सूर्य से दूर फैलते हैं, उनका आकार बढ़ता जाता है और बड़े सीएमई हमारे ग्रह तक पहुंचने तक पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान के लगभग एक-चौथाई आकार तक पहुंच सकते हैं।
धरती पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह सोलर स्टॉर्म अधिक बड़ा नहीं है, इसलिए इससे कोई खास खतरा नहीं है। हालांकि, इसकी वजह से रेडियो और जीपीएस सिग्नल डिस्टर्ब हो सकते हैं। इस कारण से, इंटरनेट में भी दिक्कत आ सकती है। कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से धरती के पोलर रीजन में ऑरोरा और जीयोमैग्नेटिक स्टॉर्म्स आ सकते हैं। नासा के अनुसार, सूरज लगातार सौर सामग्री को अंतरिक्ष में रिलीज करता है।
यह दो तरीकों से होता है- एक स्थिर प्रवाह में जिसे “सौर हवा” या सोलर विंड के रूप में जाना जाता है, और दूसरा सौर विस्फोटों से छोटे, अधिक ऊर्जावान विस्फोटों में। जब यह सौर सामग्री पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड से टकराती है, तो यह कभी-कभी जीयोमैग्नेटिक स्टॉर्म पैदा करती है। जिसका प्रभाव कम भी हो सकता है और यह प्रभाव अधिक भी हो सकता है, लेकिन प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता वाली दुनिया में, उनके प्रभाव और अधिक हानिकराक होते जा रहे हैं।
सेहत पर इसके प्रभाव…
हालांकि, यह सोलर स्टॉर्म छोटा है इसलिए यह धरती की एटमोस्फेरिक लेयर को पार कर इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। लेकिन इस बात से सभी वैज्ञानिक सहमत नहीं हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक, सौर पर्यावरण में बदलाव के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो जीयोमैग्नेटिर गतिविधियों में गड़बड़ी, इसे और अधिक बिगाड़ सकती है। इसके कारण, एरिथमिया, दिल की बीमारियां, मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन-रिलेटेड डेथ, हाइपरटेंशन और दौरे पड़ने की समस्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
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