कोरबा में धूमधाम से मनाया गया देवउठनी एकादशी

कोरबा, 23 नवम्बर। पूरे देश में गुरुवार को देवउठनी एकादशी बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. कोरबा में भी बड़े धूमधाम से पूजा अर्चना के साथ हर घर में ये पर्व मनाया जा रहा है. आज से भगवान विष्‍णु समस्‍त देवताओं के साथ चातुर्मास की निंद्रा से जागते हैं. यही कारण है कि इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी और तुलसी माता की पूजा भी की जाती है.

देवउठनी एकादशी के बाद से ही शुभ कार्य जैसे, गृहप्रवेश, शादी जैसे मंगलकार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन माता तुलसी की पूजा करने से धन की प्राप्ति भी होती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवउठान एकादशी, देवउठनी एकादशी और देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की पूजा की जाती है. दूसरे दिन तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह संपन्न कराया जाता है. इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं. कुछ लोग तो निर्जला उपवास भी करते हैं.

देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें. साफ कपड़े पहन लें. पूजाघर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें. इसके बाद विष्णु भगवान का ध्‍यान करते हुए व्रत का संकल्‍प लें. इस दिन घर की ठीक से सफाई करें और आंगन में या फिर पूजाघर के बाहर भगवान के चरणों की आकृति बना लें. घर में ओखली पर गेरू से भगवान विष्णु का चित्र बनाएं. इस चित्र पर मिठाई, फल, सिंघाड़े, गन्ना और आंवला अर्पित करें. फिर भगवान विष्‍णु की पूजा करें. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करके पूजा संपन्‍न करें.दीपावली की तरह इस दिन भी रात को पूजास्थल और घर के बाहर दीपक जलाने चाहिए. घर के सभी सदस्यों को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. उसके बाद रात में भगवान विष्‍णु का आह्वान करके उन्‍हें जगाएं. शंख और घंटी बजाते हुए यह कहें-“उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाए कार्तिक मास”. ऐसा कहकर देव को उठाकर पूजा संपन्न करें.