इस राज्य में 12 गांव ऐसे है, जहां के लोग दो राज्यों में करते हैं वोटिंग… पढ़े पूरी खबर…

तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित 12 गांवों के लोग दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान कर रहे हैं. इस क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के पास दो राशन कार्ड, पेंशन और मतदाता पहचान पत्र हैं.

गौरतलब है कि गांवों में दो राजकीय विद्युत पोल, दो विद्यालय, दो आंगनबाडी केंद्र व स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं. चूंकि नागरिक दो राज्यों द्वारा आयोजित चुनावों में दो मतदाता कार्ड के साथ मतदान करते हैं, उनके पास दो सरपंच, दो विधायक, दो सीएम और दो सांसद होते हैं.

संयुक्त आदिलाबाद (अब कुमुराभीम) जिले के केरामेरी मंडल के पारंडोली, कोटा, शंकरलोड्डी, लेंडिजला, मुकुदंगुडा, महाराजगुड़ा, अंतपुर, इंद्रनगर, पद्मावती, एस्सापुर, बोलापातर और गौरी गांव 1956 में राज्य के पुनर्विभाजन के दौरान आंध्र प्रदेश में आ गए.

इन गांवों की आबादी 9,246 और मतदाता 3,283 हैं. भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से महाराष्ट्र के करीब होने के कारण, 1987 में इन गांवों को चंद्रपुर जिले के जीवंती तालुका में शामिल किया गया और महाराष्ट्र सरकार ने पंचायत चुनाव आयोजित किए.

इस क्षेत्र का संपूर्ण वन क्षेत्र कुमुराभीम जिले के कागजनगर प्रभाग के अंतर्गत है. ऐसे में विवाद को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों ने संयुक्त रूप से केके नायडू आयोग का गठन किया. इस कमेटी के साथ ही हाई कोर्ट ने भी फैसला दिया कि ये सभी इलाके आंध्र प्रदेश के हैं. इसे चुनौती देते हुए महाराष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.. मामला अभी भी लंबित है.

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