हमलावर बाघ सातवें दिन आया पकड़ में, जंगल से निकाला गया बाहर

सिवनी। लोगो और मवेशियों पर हमला करने वाले बाघ को आखिरकार वन अमले ने बुधवार की सुबह पकड़ लिया है। दक्षिण सामान्य वन मंडल अधिकारी स्वदेश महिवाल ने बताया कि लगातार सर्चिंग के दौरान छटवें दिन मंगलवार को बाघ की लोकेशन मिली थी। इसी आधार पर बुधवार को सुबह से बाघ का रेस्क्यू करने की कार्रवाई की गई।

उन्होंने बताया कि डाट लगाकर बेहोश किया गया बाघ, वन विहार भोपाल के लिए बाघ को लेकर वन अमला रवाना हो गया है। तीन डाक्टरों की देखरेख में किया गया रेस्क्यू। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व डा गुरुदत्त, पेंच अखिलेश मिश्रा और डब्ल्यूसीटी के डा प्रशान्त रहे शामिल।

बूढा है बाघ, दांत घिसे होने से कर रहा था हमला

वन मंडल अधिकारी स्वदेश महिवाल ने बताया कि बाघ को पकड़ने के बाद उसे कहा भेजना है यह वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा जाएगा। उन्होंने बताया है कि पकड़ा गया बाघ बूढ़ा है। उसके दांत भी घिसे हुए है। इससे अंदेशा लगाया जा है कि वह जंगल मे शिकार नहीं कर पा रहा था और आसान शिकार की तलाश में लोगों व मवेशियों पर हमला कर रहा था। बाघ को पकड़ने के लिए पेंच टाइगर रिजर्व के तीन प्रशिक्षित हाथी, 30 ड्रोन कैमरे और पचास कर्मचारियों का दल पिछले छह दिनों से जंगल का कोना कोना छान रहा था।

लगातार हो रहे बाघ के हमले

25 अक्टूबर को तीन दिन से लापता रमपुरी निवासी जयवंती पति टेकचंद पंद्रे (55) का क्षत विक्षत शव पेंच टाइगर रिजर्व के अरी (बफर) की मोहगांव बीट के जंगल में मिला था। महज आठ दिनों बाद एक नवंबर को बाघ ने एक और व्यक्ति का शिकार किया था। इससे पहले 11 अक्टूबर को वन परिक्षेत्र खवासा की पिंडरई बीट कक्ष क्र. 355 के जंगल में मवेशी चरा रहे चरवाहे मिट्ठन अवसरे (49) की बाघ के हमले में मौत हुई थी।

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