सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम 1995 में बड़े संशोधन किए हैं। इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है। इन संसोधनों के बाद अब केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम-1995 को आपराधिक धाराओं से मुक्त किया गया है।
इससे पहले, हाल ही में सूचना प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम 1994 में बड़ा संशोधन किया था।
अधिसूचना में बताया गया है कि संशोधन के माध्यम से कठोर दंड का सहारा लिए बिना छोटे और अनपेक्षित उल्लंघनों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी। इन संशोधनों से अधिनियम के अनुपालन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। सलाह, आलोचना और चेतावनी शामिल होने से उल्लंघनकर्ता को दंडित होने के बजाय हितधारक अनुपालन के लिए प्रेरित होंगे।
बता दें कि केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियम अधिनियम 1995 की धारा 16 किसी भी प्रावधान के तहत उल्लंघन के लिए सजा से संबंधित है। इस धारा में कारावास का प्रावधान था, जिसे पहली बार के मामले में 2 साल तक और प्रत्येक बाद के अपराध के लिए 5 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। अधिसूचना में कहा गया है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम 1995 को और अधिक व्यवसाय अनुकूल बनाने और क्षेत्र में निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देने के लक्ष्य से धारा 16 के तहत निर्दिष्ट दंडों की फिर से जांच की गई और जन विश्वास प्रावधानों में संशोधन के माध्यम से इसे अपराध मुक्त कर दिया गया।
हाल ही में केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम 1994 में हुआ था संशोधन
सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने हाल ही में केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम 1994 में बड़ा संशोधन किया था। संशोधन के बाद अब 10 साल की अवधि के लिए मल्टी-सिस्टम ऑपरेटरों (MSO) के लिए पंजीकरण शुरू होगा। इस पंजीकरण में ब्रॉडबैंड कंपनियां भी शामिल हो सकेंगी। बहुत ही आसान भाषा में कहें तो एमएसओ उन कंपनियों को कहा जाता है जो टीवी के केबल सिस्टम को ऑपरेट कर रही हैं। देश में करीब 115 एमएसओ ऑपरेटर (केबल टीवी ऑपरेटर) हैं।
बता दें कि इससे पहले केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत ब्रॉडबैंड या टेलीकॉम कंपनियों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर को साझा करने का प्रावधान नहीं था।
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