भारत मंडपम के नटराज के मुख्य शिल्पी राधाकृष्णन सम्मानित

नई दिल्ली। जी-20 शिखर सम्मेलन से पूर्व राजधानी के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में स्थापित अष्टधातु से बनी ‘नटराज’ की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा के मुख्य शिल्पी राधाकृष्णन स्थापति को उनके असाधारण कलात्मक कौशल के लिए सम्मानित किया गया है। इस प्रतिमा के निर्माण में कुल तीन लाख मानव श्रम घंटे का समय लगा, अर्थात् यदि एक व्यक्ति को इस मूर्ति को तैयार करना होता, तो उसे कुल तीन लाख घंटे या 12,500 दिन लगते। इसके निर्माण में 30 महीने का काम छह महीने में पूरा किया गया।

तमिलनाडु के स्वामीमलाई जिले के श्री राधाकृष्णन को सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। राजधानी के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में ‘नटराज: ब्रह्मांडीय ऊर्जा की अभिव्यक्ति’ पर आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम में ‘नटराज’ पर विचार-विमर्श और इसके भारतीय दर्शन पर विस्तृत चर्चा की गयी। इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को नटराज के दर्शन के प्रति जागरूक करना था। ‘नटराज’ प्रतिमा की स्थापना में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्यक्रम में बताया गया कि श्री राधाकृष्णन का परिवार चोल काल से मूर्ति शिल्प की इस विधा पर कार्य करता आ रहा है। श्री राधाकृष्णन चोल काल के स्थापतियों के परिवार की 34वीं पीढ़ी के सदस्य हैं। राजधानी में नौ और 10 सितंबर को भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले ‘नटराज’ की मूर्ति का निर्माण श्री राधाकृष्णन की अगुआई में मधुच्छिष्ट विधान (लॉस्ट वैक्स तकनीक) से किया गया। इस विधि का चोल काल (9वीं शताब्दी ईस्वी) से पालन किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में पद्मविभूषण राज्यसभा सांसद डॉ. सोनल मानसिंह, प्रख्यात नृत्यांगना ‘पद्मभूषण’ डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम, आईजीएनसीए के अध्यक्ष ‘पद्मश्री’ रामबहादुर राय, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन, ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी के अध्यक्ष एवं प्रख्यात मूर्ति शिल्पकार बिमान बिहारी दास, कॉलेज ऑफ आर्ट के प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार शर्मा, नेशनल गैलरी ऑफ मॉर्डन आर्ट के पूर्व महानिदेशक अद्वैत गडनायक, प्रख्यात मूर्ति शिल्पकार अनिल सुतार और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी सहित कई कलाप्रेमी, दर्शक और अतिथिगण मौजूद थे। इस कार्यक्रम में 200 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।