चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे भारत के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से इसरो आज फिर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर सकता है। इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा कि अगर भाग्य ने साथ दिया तो दोनों से न केवल फिर संपर्क होगा, बल्कि उनके उपकरण भी उपयोग करने की दशा में मिलेंगे।
इसरो ने इन दोनों को दो और चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था क्योंकि चंद्रमा पर रात्रि काल शुरू हो चुका था, जिसमें भयानक सर्दी और विकिरण से उन्हें गुजरना था। एसएसी इसरो के लिए अंतरिक्ष में काम आने वाले उपकरण बनाता है, इसी ने चंद्रयान-3 के लिए कैमरा प्रणाली व खतरे की सूचना देने वाली सेंसर प्रणाली भी विकसित की, जिन्हें लैंडर व रोवर पर लगाया गया।
देसाई के अनुसार बीते 20 दिन में दोनों ने माइनस 120 से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस जितनी सर्दी को सहन किया है। अब पृथ्वी के समय अनुसार 20 सितंबर की शाम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय शुरू हो गया है। विक्रम और प्रज्ञान के सोलर पैनल भी उनकी बैटरी धीरे-धीरे चार्ज करने लगेंगे।’ देसाई के अनुसार इसरो की योजना है कि 22 सितंबर को उन्हें रिवाइव किया जाए।
इतने कम तापमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ठीक रह पाना मुश्किल
भुवनेश्वर के पथानी सामंत तारामंडल से हाल में रिटायर वैज्ञानिक सुवेंद्र पटनायक ने कहा कि लैंडर और रोवर ने चंद्र सतह पर जुटाया तमाम डाटा पृथ्वी पर पहले ही भेज दिया था। अगर वे फिर से सक्रिय होते हैं, तो यह किसी वरदान जैसा होगा। माइनस 250 डिग्री तापमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ठीक रह पाना बहुत मुश्किल है। फिर भी सभी को उम्मीद है, कि यह हमारे लिए फिर से कुछ और काम कर पाएगा।
‘आशा है…नसीब काम करेगा’
देसाई ने कहा ‘अभी हम अपनी फिंगर क्रॉस किए हुए हैं। लैंडर और रोवर के उपकरणों को क्या क्षति पहुंची होगी, वह सब हमें उन्हें रिवाइव करने के प्रयास के दौरान पता चलेगा। हालांकि हम उम्मीद बांधे हुए हैं कि दोनों के कोई न कोई उपकरण काम करेंगे।’ उन्होंने कहा कि विक्रम में चार उपकरण और प्रज्ञान में दो उपकरण लगे हैं। इनमें से कोई भी फिर से काम करने लगे तो इसरो द्वारा चंद्रमा पर किए जा रहे काम आगे बढ़ पाएंगे। कई और वैज्ञानिक प्रयोग भी चंद्र सतह पर किए जा सकेंगे और उनका डाटा पृथ्वी पर भेजा जाएगा। देसाई ने कहा ‘हम आशा रखते हैं कि हर बार की तरह इस बार भी हमारा नसीब काम करेगा और कुछ और जानकारियां हमें इस मिशन के जरिए चंद्रमा के बारे में मिल पाएंगी।’
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