Newborn Baby Care: नवजात शिशु के सही विकास के लिए ऐसे करें उनकी देखभाल

बच्चों का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास हो, इसके लिए तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है- स्तनपान, अनिवार्य टीकाकरण और पूरक आहार। शुरू के छह महीने बहुत खास होते हैं। इसके बाद बच्चे को पूरक आहार देना शुरू किया जाता है। बच्चे के भावनात्मक विकास के लिए उसे भरपूर प्यार और बेहतर पारिवारिक माहौल की भी जरूरत होती है। इसके लिए माता-पिता बच्चे से जुड़ाव बढ़ाएं, उसके साथ खेलें। उसके पोषण और प्रेम में कहीं से कमी न होने दें। गर्भकाल से लेकर तीन वर्ष तक बच्चे के मानसिक विकास की अवधि होती है। इस दौरान 80 प्रतिशत से ज्यादा न्यूरल विकास होता है। हर बच्चे का अधिकार है कि उसके जीवन की शुरुआत गुणवत्तापूर्ण हो। इन अधिकारों में अच्छा पोषण, उत्तरदायी देखभाल, स्वास्थ्य, सुरक्षित वातावरण और प्रारंभिक शिक्षण शामिल है। पूरक आहार की शुरुआत भले ही छह महीने बाद हो जाती है, लेकिन ध्यान रखें स्तनपान कम से कम दो साल तक जारी रहे।

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत

नवजात शिशु को शुरुआती छह महीने तक केवल मां का ही दूध पिलाना चाहिए। इस दौरान बॉटल फीडिंग या किसी अन्य तरीके से बच्चों को दूध पिलाना उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। एक बड़ी भ्रांति है कि मां का दूध कम होता है, जबकि वास्तविकता यह है कि मां बच्चे को जितना दूध पिलाएगी, उतना ही बढ़ेगा। मां का दूध बच्चे को पिलाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह बहुत ही सुपाच्य होता है। दूध पीते-पीते यह बच्चे को पच जाता है और एक घंटे में ही उसे दोबारा भूख लग जाती है। अगर बच्चे को बॉटल फीडिंग की आदत लगा दी जाती है, तो मां का दूध स्वतः कम होने लगता है। ध्यान रखें इन छह महीनों के दौरान बच्चे को पानी भी नहीं पिलाना है और ना ही कोई घुट्टी देनी है या कुछ खिलाना है।

मां के पोषण पर बच्चे की निर्भरता

हर मां को चाहिए कि वह दिनभर में नवजात को कम से कम आठ बार स्तनपान कराए। बच्चे को रात में भी दूध पिलाना जरूरी है। दूसरा, मां का खाने में कोई परहेज नहीं है। पूरे उत्तर भारत में यह माना जाता है कि अगर मां बच्चे को दूध पिला रही है, तो उसे चावल, दही, आम आदि नहीं खाना चाहिए, जबकि मेडिकल साइंस कहता है कि स्तनपान के दौरान मां को घर का बना सब कुछ- चावल, दाल, हरी सब्जी, रोटी, दाल आदि कम से कम चार बार खाना चाहिए। साथ ही मौसमी फल जैसे केला, अमरूद भी खाती रहें। दूध बनने की प्रक्रिया बच्चे के दूध पीने और मां के भोजन से जुड़ी है। प्रसव के तुरंत बाद लोग मां का दूध नहीं पिलाने देते कि इससे पस बनता है, दही नहीं खाने देते हैं कि इससे ठंड लगती है, आम नहीं खाने देते कि इससे बच्चे के पेट में दर्द होता है। ये धारणाएं गलत हैं। विज्ञान कहता है कि स्तनपान के दौरान मां को 300 से 400 किलो कैलोरी की अधिक आवश्यकता होती है यानी अगर घर में लोग तीन बार भोजन कर रहे हैं, तो मां को चार बार भोजन करना चाहिए।

कुपोषण होने के पीछे कारण

– बॉटल फीडिंग का बढ़ता चलन बच्चों में कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है। इससे बच्चों को दस्त और निमोनिया होने की आशंका अधिक रहती है।

– मां बच्चे को बॉटल फीडिंग कराना जैसे ही शुरू करती है, उसका दूध कम होने लगता है।

कब शुरू करें पूरक आहार देना

छह महीने बाद आमतौर पर लोग बच्चे को दाल का पानी पिलाना शुरू कर देते हैं, यह भी गलत है। पहले चावल को दाल के साथ मसलकर बच्चे को थोड़ा-थोड़ा खिलाना शुरू करें। छह महीने के बाद घर में जो कुछ भी बना हुआ है, उसे थोड़ा-थोड़ा खिला सकते हैं। केवल दाल का पानी और बाहर का दूध पिलाने से बच्चे को कुपोषण हो सकता है। साथ ही बाजार में जितने भी फीडिंग फार्मूला आते हैं, उसे बच्चे को पिलाने से बचना चाहिए। केवल घर का बना खाना तीन से चार बार खिलाना चाहिए।

मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं ये उपाय

– छह महीने के बाद बच्चों के साथ खेलना शुरू करें, उससे बात और प्रेम करें।

– बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए दो बातें हमेशा ध्यान रखें, पहला, मां का दूध, छह महीने बाद पूरक आहार, दूसरा माता-पिता के साथ बच्चे को सकारात्मक पारिवारिक माहौल देना। यही बात गर्भकाल के दौरान भी लागू होती है।

– बच्चों का नियमित और जरूरी टीकाकरण अवश्य कराएं। इस दौरान उसके विकास का मानिटरिंग भी होती है।

गर्भकाल के दौरान सतर्कता

– प्रेग्नेंसी के दौरान मां का आहार सही और संतुलित हो। घर का बना भोजन ही करें।

-नियमित रूप से डाक्टर से मिलें और जरूरी टीकाकरण कराएं, तो गर्भस्थ शिशु का भी बेहतर विकास होता है।

-बच्चे के संपूर्ण मानसिक विकास के लिए गर्भकाल के दौरान मां का स्वस्थ रहना आवश्यक है। प्रेग्नेंसी के दौर मां का वजन आठ से नौ किलोग्राम तक बढ़ना चाहिए। साथ ही मां की रक्तचाप की जांच आवश्यक है। प्रसव हमेशा अस्पताल में कराएं।

(डा. रतन गुप्ता, प्रोफेसर, पीडियाट्रिक्स विभाग, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित)