एक पिता की ऐसी मजबूरी सामने आई है कि उसको अपनी 13 वर्षीय बेटी को जंजीरों से बांधकर रखना पड़ता है। बेटी को कहीं ले जाना हो तो उसे जंजीर लगाना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला उज्जैन में देखने को मिला जहां एक पिता अपनी बेटी को जंजीरों से बांध कर ले जा रहा था।
पूछताछ करने पर पता चला कि वह युवती का पिता है। उसने बताया कि उसकी बेटी काफी समय से बीमार चल रही है। वह उसका उपचार कराने बागेश्वर धाम जा रहा था। उसका कहना है कि वह उसकी इकलौती बेटी है लेकिन मजबूरी में उसे बेड़ियों में रखना पड़ता है।
उज्जैन के देवास गेट क्षेत्र में एक शख्स एक लड़की को उसके हाथों में जंजीर बांधकर ले जा रहा था। जंजीर का एक हिस्सा अपने हाथों में पकड़ा हुआ था। यह दृश्य देखकर सड़कों पर चलने वाले राहगीर भी चौंक गए। हम भी उत्सुकता वश उस शख्स के पीछे चल दिए। वह व्यक्ति लड़की को लेकर उज्जैन रेलवे स्टेशन तक गया। फिर हमने उसको रोका और उससे लड़की के हाथ में बंधी हुई जंजीर और ताले का कारण पूछा तो उसने पूरी कहानी सुनाई। उसने अपना नाम वीरेंद्र कुशवाहा बताया।
वीरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि उनके साथ में उनकी इकलौती बेटी काजल है जिसकी उम्र 13 साल है। उनकी बेटी काफी समय से बीमार है। बेटी को कहीं ले जाना हो तो हाथों में जंजीर बांधकर ताला लगाना पड़ता है, नहीं तो वह या तो खुद के शरीर को घायल कर लेती है या परिजनों के साथ मारपीट करती है। वह सड़कों पर दौड़ कर लोगों को नुकसान पहुंचाती है। बात करते करते वह रो पड़ते हैं। वीरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि वह मूलत: अशोक नगर के रहने वाले हैं और मौजूदा वक्त में इंदौर के देवगुराड़िया में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।
वीरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि बेटी का कई जगहों पर इलाज करा चुके हैं लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। ऐसे हालात में ना चाहते हुए भी दिल पर पत्थर रखकर बेटी के हाथों को जंजीरों से बांधकर रखना पड़ता है। अब आखिरी उम्मीद के साथ इलाज के लिए बेटी को लेकर बागेश्वर धाम जा रहा हूं। बेटी को बस में बैठाकर हाथों में जंजीर डालकर ही लेकर आया हूं और ट्रेन में भी इसी तरह से लेकर जाऊंगा। वीरेंद्र कुशवाह कहते हैं कि दिल तो नहीं मानता है लेकिन क्या करूं मेरी मजबूरी है।
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